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Buxar: आसमान का दामन थामे बादलों ने धरती को भिगोया, सितंबर में खूब हुई बारिश... फिर भी किसान परेशान क्यों?

Buxar Weather जिले में जमकर पानी बरस रहा है। आज झमझम बारिश हुई है। कल भी मेघ के जमकर बरसने की संभावना है। सितंबर में वर्षा की स्थिति अच्छी रही है। फिर भी इस बार के मानसून सीजन में हुई वर्षा से किसान संतुष्ट नहीं हैं। सितंबर में जिले के किसी न किसी क्षेत्र में वर्षा हुई लेकिन फिर धूप भी पड़ी जिससे खेतों को नुकसान हुआ है।

By Girdhari AgrwalEdited By: Aysha SheikhPublished: Fri, 22 Sep 2023 04:23 PM (IST)Updated: Fri, 22 Sep 2023 04:23 PM (IST)
Buxar: आसमान का दामन थामे बादलों ने धरती को भिगोया, सितंबर में खूब हुई बारिश... फिर भी किसान परेशान क्यों?
Buxar: आसमान का दामन थामे बादलों ने धरती को भिगोया

जागरण संवाददाता, बक्सर : आसमान का दामन थामे बादलों ने शुक्रवार को धरती को भिगोया है। सदर प्रखंड के अंर्तगत स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में शुक्रवार को 43.2 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है।

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मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, शनिवार के साथ रविवार को भी जिले के भूभाग में हल्की बूंदाबांदी हो सकती है। हालांकि, इस बार के मानसून सीजन में हुई वर्षा से किसान संतुष्ट नहीं हैं।

पिछले तीन महीनों में जिले में हुई कम वर्षा

जिला कृषि कार्यालय के आंकड़ें भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि पिछले तीन महीनों में औसत से कम जिले में वर्षा हुई है। जून में वर्षापात का औसत मानक 107 मिलीमीटर था, जबकि जिले में 68.44 मिलीमीटर औसत वर्षा हुई है।

इसी प्रकार जुलाई में सामान्य वर्षापात का आंकड़ा 277.2 मिलीमीटर वर्षापात का था और 206.78 मिलीमीटर ही वर्षा हुई। अगस्त का मानक 263 मिलीमीटर वर्षापात का था और उसके अनुपात में जिले में महज 125.5 मिलीमीटर ही औसत वर्षा हुई।

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कभी बारिश तो कभी धूप ने सुखाया

फिलहाल, सितंबर में वर्षा की स्थिति लगभग आंकड़ों के करीब दिख रही है। 22 सितंबर तक जिले में वर्षा का सामान्य अनुपात 146.8 मिलीमीटर का है, जो शुक्रवार की सुबह आठ बजे तक 117.4 मिलीमीटर औसत वर्षा जिले में हो जाने की गणना की गई है।

इसके उपरांत भी शहर समेत जिले के कुछ अन्य प्रखंड अंतर्गत वर्षा होने की सूचना है। हालांकि, इन सब के बावजूद किसानों की शिकायतों को झुठलाया नहीं जा सकता है।

कहने को तो सितंबर के बीते 13 दिनों में जिले के किसी न किसी क्षेत्र में वर्षा हुई है, लेकिन इतनी ही चटख धूप भी पड़ी है, जिससे खेतों की गीली मिट्टी को सूखते देर नहीं लगी है।

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