बक्सर रेलवे स्टेशन का होगा विस्तार, बनाए जाएंगे दो नए प्लेटफार्म; उत्तरप्रदेश से जल्द जुड़ेगी नई रेल लाइन
भविष्य को ध्यान में रखते हुए बक्सर रेलवे स्टेशन पर दो नए प्लेटफार्म बनाए जाएंगे। यह निर्णय स्टेशन की क्षमता बढ़ाने और यात्रियों को बेहतर सुविधाएँ प्रद ...और पढ़ें

बक्सर रेलवे स्टेशन पर चलती ट्रेन। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, बक्सर। दानापुर रेल मंडल के शीर्ष आय वाले रेलवे स्टेशनों में शामिल बक्सर के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हुई है। लंबे अरसे से तीन प्लेटफॉर्म वाले इस स्टेशन पर दो नए प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे। इसका निर्माण 29.99 लाख रुपए की लागत से होगा। ये दोनों प्लेटफॉर्म प्लेटफॉर्म संख्या चार और पांच के रूप में काम करेंगे।
दोनों की बनावट ठीक वैसी ही होगी, जैसी दो और तीन की होगी। यानी दो अलग-अलग लाइनों के बीच की संरचना, जिसके दोनों सिरे अलग-अलग ट्रेनों के लिए प्रयोग में लाए जाएंगे। नए प्लेटफॉर्म का विकास तीन नंबर प्लेटफॉर्म के दक्षिण की ओर होगा।
संभव है कि इसके बाद साइडिंग ट्रैक की संख्या घटेगी, जिसे ट्रेनों के लिए पार्किंग के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। फिलहाल बक्सर रेलवे स्टेशन के दक्षिणी छोर पर तीन साइडिंग लाइन हैं, जिनका इस्तेमाल अक्सर बक्सर से खुलने वाली मेमू ट्रेनों को रात के वक्त खड़ा करने में होता है। इनकी जगह ही नए प्लेटफॉर्म और इनसे जुड़ी दो नई लूप लाइन का निर्माण होगा।
संभव है कि बीच वाली साइडिंग लाइन को विलोपित करते हुए उसकी जगह नए प्लेटफॉर्म का निर्माण किया जाए और शेष बची दोनों साइडिंग लाइन को ही लूप लाइन के तौर पर विकसित किया जाए। नए प्लेटफार्मों की लंबाई करीब 650 मीटर रहेगी, जिसके किनारे एलएचबी रैक वाली ट्रेन के 24 कोच और इंजन आराम से लगाए जा सकेंगे।
गिट्टी रहित स्लैब आधारित ट्रैक बनाने की तैयारी
बक्सर रेलवे स्टेशन के विकास से जुड़ी एक अन्य योजना पर इससे पहले ही कार्य शुरू हो चुका है। इसके तहत प्लेटफॉर्म संख्या एक, दो और तीन से जुड़ी लाइन को गिट्टी रहित स्लैब आधारित ट्रैक से विस्थापित किया जाएगा। इसके तहत रेलवे लाइन के बीच की पटरियों के बीच ढलाई के जरिए स्थायी संरचना का निर्माण किया जाता है।
इसमें बार-बार स्लीपर बदलने की जरूरत कम हो जाती है। साथ ही, प्लेटफॉर्म से जुड़ी रेलवे लाइन की सफाई में मदद मिलेगी और रेलवे स्टेशन पहले से अधिक स्वच्छ दिखेगा।
लंबी दूरी की ट्रेनें खोले जाने के लिए जरूरी
बीते एक से डेढ़ वर्ष के अंदर बक्सर रेलवे स्टेशन से लंबी दूरी की तीन ट्रेनें खुलने लगी हैं। इन ट्रेनों का आरंभ बिंदु बक्सर में होने के कारण इनको लंबे ठहराव की जरूरत पड़ती है। फिलहाल टाटा-बक्सर एक्सप्रेस और बिलासपुर-बक्सर साप्ताहिक एक्सप्रेस दो प्रमुख ऐसी ट्रेनें हैं।
इनके अलावा त्योहारी मौसम में अलग-अलग स्टेशनों के लिए लंबी दूरी की स्पेशल ट्रेनें भी बक्सर से खोली जाती हैं। इसे देखते हुए रेलवे ने बक्सर रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया है।
गाजीपुर से जुड़ने के बाद और बढ़ेगी ट्रेनों की भीड़
बक्सर रेलवे स्टेशन जल्द ही उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से जुड़ने वाला है। इसके लिए बक्सर-डीडीयू रेलखंड के भदौरा और दिलदारनगर-ताड़ीघाट-गाजीपुर रेलखंड के कर्मा रेलवे स्टेशन के बीच नई रेलवे लाइन बिछाने का कार्य शुरू हो गया है। यह नई लाइन बाईपास की तरह कार्य करेगी।
इस तरह गाजीपुर से डीडीयू की ओर जाने वाली ट्रेनें कर्मा से दक्षिण होते ही दिलदारनगर की ओर बढ़ जाएंगी, जबकि गाजीपुर से पटना की ओर जाने वाली ट्रेनें कर्मा से ही पूरब की ओर मुड़ते हुए सीधे भदौरा के पास आकर पटना-डीडीयू रेल लाइन से जुड़ जाएंगी और बक्सर पहुंचेंगी।
11.1 किमी लंबी इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आखिरी चरण में है और निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसका निर्माण पूरा होते ही पटना, आरा, बक्सर से गाजीपुर, मऊ आदि के बीच सीधा रेल संपर्क कायम होगा। स्वभाविक है कि इससे बक्सर से गुजरने वाली रेल लाइन पर ट्रेनों का दबाव और बढ़ेगा।
नई साइडिंग लाइन और वाशिंग पिट के लिए जगह तलाशना जरूरी
अब बक्सर रेलवे स्टेशन पर नई साइडिंग लाइन और वाशिंग पिट के लिए जगह तलाशना जरूरी होता जा रहा है। अगर वाशिंग पिट की व्यवस्था हो जाए, तो लंबी दूरी की ट्रेनों को यहां से खोलने और उनका प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। इसके लिए रेलवे के पास चौसा से बरुना तक रेलवे लाइन के किनारे पर्याप्त जमीन उपलब्ध है।
फिलहाल लंबी दूरी की जो दो ट्रेनें यहां से खुलती हैं, उनका प्राथमिक रखरखाव दूसरे छोर के आरंभ रेलवे स्टेशन से होता है। बक्सर-चौसा न्यू बाईपास रोड जो नदांव रेलवे समपार के पास से गुजरेगा। इस दिशा में सड़क संपर्क का एक महत्वपूर्ण आधार बन सकता है।
पुरानी कालोनी को पुनर्व्यवस्थित करने का विकल्प
बक्सर रेलवे स्टेशन के पास रेलवे की पुरानी कालोनी को पुनर्व्यवस्थित कर भी नई स्टेबलिंग लाइन अथवा साइडिंग लाइन के लिए जगह निकाली जा सकती है। इस कालोनी के पुराने आवासीय परिसर बदहाल हो चुके हैं। इसके काफी हिस्से को रेलवे पहले ही अनुपयुक्त घोषित कर चुका है।
रेलवे कालोनी से ठीक सटे चांदमारी के नाम से मशहूर जमीन पर भी रेलवे दावा करता रहा है। इस जमीन पर रेलवे ने बकायदा सीमांकन कराते हुए पिलर तक गड़वा रखे हैं, लेकिन वहां तेजी से निजी मकान बनाए जा रहे हैं।

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