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    Bihar State Highway: स्टेट हाईवे-17 को अपग्रेड करेगी नीतीश सरकार, बक्सर-कोचस-सासाराम का सफर होगा आसान

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 03:26 PM (IST)

    बक्सर जिले में स्टेट हाईवे-17 के चौसा-कोचस-सासाराम रोड का चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। सरकार इस परियोजना पर 117.49 करोड़ रुपए खर्च करेगी। सड़क के नवीनीकरण से बक्सर से कोचस और सासाराम का सफर आसान हो जाएगा साथ ही बक्सर ताप बिजली घर तक पहुंच भी सुगम होगी। फिलहाल सड़क की हालत ठीक नहीं है।

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    अखौरीपुर गोला से बसही पुल तक मजबूत और चौड़ी बनाई जाएगी सड़क

    जागरण संवाददाता, बक्सर। जिले की सबसे प्रमुख सड़कों में से एक राज्य राजमार्ग यानी स्टेट हाईवे संख्या-17 चौसा-कोचस-सासाराम रोड के चौसा (अखौरीपुर) गोला-कोचस पथांश का (बसही पुल तक) चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण कार्य कराया जाएगा। इसमें एक उच्च स्तरीय पुल का निर्माण भी शामिल है।

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    सड़क के इस अंश की लंबाई करीब 24 किलोमीटर है। इस सड़क का शेष करीब 41 किलोमीटर का अंश बसही पुल से कोचस होते हुए सासाराम तक करीब 41 किलोमीटर लंबा है।

    बीते शनिवार को राज्य के पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने बताया कि इस सड़क का नवनिर्माण केंद्रीय सड़क और बुनियादी ढांचा कोष (सीआरआईएफ) के तहत किया जाएगा। इसके निर्माण पर सरकार ने 117.49 करोड़ रुपए खर्च करने का फैसला किया है।

    मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने इस सड़क सहित आठ जिलों की 10 सड़कों के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से अनुशंसा की थी। इस सड़क का पुनर्निर्माण किए जाने से बक्सर से कोचस और सासाराम का सफर आसान हो जाएगा। साथ ही इसी सड़क के किनारे स्थित बक्सर ताप बिजली घर तक भी पहुंच आसान होगी।

    फिलहाल इस सड़क की हालत ठीक नहीं है। गत शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजपुर आए, तो सड़क के गड्ढों को भरकर चलने लायक बनाया गया। साथ ही राजपुर प्रखंड मुख्यालय के पास करीब दो किलोमीटर सड़क का नए सिरे से कामचलाऊ कालीकरण किया गया।

    बीते वर्ष बरसात के दौरान इस सड़क की हालत और भी खराब हो गई थी। पूरी सड़क में हर कदम पर एक से दो फीट और कहीं-कहीं इससे भी अधिक गहरे गड्ढे हो गए थे। इसके बाद पथ निर्माण विभाग ने इसकी मरम्मत कराई। हालांकि, यह मरम्मत भी बहुत अधिक टिकाऊ नहीं हो पाई थी।

    दिलचस्प तो यह है कि बीते विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी इस सड़क की दुर्दशा थी। तब इसको लेकर काफी आंदोलन और राजनीतिक बयानबाजी हुई। इसके बाद सड़क का निर्माण तो हुआ, लेकिन बालू लदे बड़े-बढ़े भारी-भरकम ट्रकों के सामने जल्द ही इसका कचूमर निकल गया।