Bihar Politics: बक्सर में विधायक और एनडीए आमने-सामने, विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे पर गरमाई सियासत
बक्सर के चौगाईं प्रखंड में सड़क उद्घाटन के बाद शिलापट्ट तोड़े जाने से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। जदयू और भाजपा नेताओं ने विधायक पर योजनाओं का श्रेय लेने का आरोप लगाया है। विधायक ने कहा कि उनके पास अनुशंसा के दस्तावेज हैं। एनडीए ने जांच की मांग की है जबकि विपक्ष ने इसे ओछी राजनीति बताया है।

संवाद सहयोगी, चौगाईं (बक्सर)। चौगाईं प्रखंड में ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा स्वीकृत 22 किलोमीटर लंबी सड़कों के उद्घाटन के बाद शिलापट्ट तोड़े जाने की घटना ने डुमरांव की राजनीति में हलचल मचा दी है। एक सप्ताह पूर्व डुमरांव विधायक डॉ. अजीत कुशवाहा ने विधिवत रूप से इन सड़कों के निर्माण कार्य का शुभारंभ किया था, लेकिन उद्घाटन स्थल पर लगा शिलापट्ट अब गायब है।
इसे किसने और कब हटाया, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है, मगर सियासी आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। पूर्व पार्षद सह जदयू नेता धीरज कुमार ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की योजनाओं का श्रेय विधायक लेने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि शिलापट्ट पर विधायक का नाम बड़े अक्षरों में अंकित है, जबकि मुख्यमंत्री का नाम कोने में छोटे अक्षरों में लिखा गया है, जो प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।
भाजपा नेत्री ने कहा- एनडीए की योजनाओं पर विपक्ष का दावा गलत
भाजपा नेत्री सह पूर्व प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने विधायक पर तंज कसते हुए कहा कि केंद्र व राज्य दोनों में एनडीए की सरकार है। विकास योजनाएं एनडीए नेतृत्व में बनी हैं और उन्हें लागू करने में प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन होता है। उन्होंने कहा कि बक्सर के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी और कई केंद्रीय मंत्रियों ने क्षेत्र में विकास कार्यों की घोषणा की थी। ऐसे में इन योजनाओं पर विपक्षी विधायक का श्रेय लेना अनुचित है।
विधायक का पलटवार- हमारे पास है अनुशंसा के दस्तावेज
इस पूरे प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए डुमरांव विधायक डॉ. अजीत ने कहा कि एक विपक्षी विधायक का कर्तव्य अनुशंसा करना होता है, जो उन्होंने समय पर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने उनकी अनुशंसाओं के साथ पहले भेदभाव किया, लेकिन अंततः मंजूरी दी गई। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पास अनुशंसा से जुड़े सारे दस्तावेज मौजूद हैं।
उन्होंने भाजपा और जदयू नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि शिलापट्ट पर नाम आने मात्र से अफसरों को धमकाया जा रहा है, जबकि विभाग ने प्रोटोकाल के तहत कार्य किया। विधायक ने स्पष्ट किया कि उन्हें शिलापट्ट हटाए जाने की जानकारी मिली है, लेकिन इसकी उन्हें कोई परवाह नहीं, क्योंकि जनता सब जानती है।
राजनीतिक माहौल में उबाल, जांच की उठी मांग:
शिलापट्ट हटाने की घटना के बाद सियासी तापमान तेजी से बढ़ा है। एनडीए नेताओं ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है, वहीं विपक्ष इसे ‘ओछी राजनीति’ बताकर एनडीए नेताओं पर पलटवार कर रहा है। शिलापट्ट पर नाम को लेकर शुरू हुआ विवाद अब बड़े राजनीतिक संघर्ष में तब्दील होता नजर आ रहा है।
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