Updated: Mon, 03 Feb 2025 06:38 PM (IST)
बक्सर के किसान विनोद सिंह ने सरकारी नौकरी छोड़कर पपीते की खेती शुरू की और अब लागत से दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं। कम समय में अच्छा मुनाफा देने वाली इस फसल ने उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है। उनका कहना है कि पारंपरिक खेती के अलावा हर किसान को वैकल्पिक नकदी फसलों पर भी ध्यान देना चाहिए। तभी किसानों की आर्थिक हालात सुधर पाएगी।
अनिल गिरी, चक्की (बक्सर)। खेती-किसानी में लीक से हटकर चलने वाले लोग कम ही दिखते हैं, लेकिन शिक्षा के प्रसार, जागरूकता और उन्नत बीजों की उपलब्धता के कारण अब ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदल रही है। चक्की प्रखंड क्षेत्र के किसान धान-गेहूं के अलावा कम समय में अच्छा मुनाफा देने वाली फसलों की खेती करने लगे हैं। ऐसे ही एक किसान हैं अरक गांव निवासी विनोद सिंह।
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वह आठ एकड़ में पपीते की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। परंपरागत फसलों की तुलना में पपीते की खेती से इनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। वह फौज की नौकरी में थे। चार साल नौकरी करने के बाद इनका मिजाज बदला। नौकरी छोड़कर 1994 में गांव आ गए। इसके बाद खेती में अपनी किस्मत आजमाने लगे। थोड़ी-थोड़ी कर फसलें उगाने लगे।
अब वह खुद को परंपरागत फसलों से ऊपर उठाकर नकदी खेती की ओर आगे बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि पारंपरिक खेती के अलावा, हर किसान को वैकल्पिक नकदी फसलों पर भी ध्यान देना चाहिए। तभी किसानों की आर्थिक हालात सुधर पाएगी। पपीते की खेती आर्थिक रूप से सफल होने के लिए एक बेहतर विकल्प है, क्योंकि इसमें कम लागत में अच्छा मुनाफा होता है।
कृषि विभाग से परामर्श लेकर शुरू की पपीते की खेती
उन्होंने खेती से आय बढ़ाने के लिए सबसे पहले कृषि विभाग से संपर्क किया। विभाग की ओर से उन्हें पपीते की खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित किया गया। कृषि विभाग से मिली सलाह के बाद उन्होंने एक एकड़ में पपीते की खेती शुरू की।
इसके लिए उन्होंने उद्यान विभाग से भी मदद ली। कम लागत में अच्छा मुनाफा हुआ, तो उन्होंने खेती का रकबा बढ़ाना शुरू कर दिया। अब वह आठ एकड़ में पपीते की खेती कर बहुत खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
उन्होंने उद्यान विभाग से पपीते की उन्नत किस्म के बीज ताईवान 786 वैरायटी हासिल कर इसकी खेती शुरू की। यह उनके गांव की मिट्टी और जलवायु के अनुसार अनुकूल प्रभेद है।
फसल की देखभाल और पोषण के लिए वह कृषि और उद्यान विभाग से हमेशा संपर्क में रहते हैं। उन्होंने बताया कि टपक सिंचाई द्वारा पपीते की खेती की जाती है।
एक बार पपीता लगाकर दो साल तक ले सकते हैं फसल
खेतों में एक बार पपीता लगा देने के बाद दो साल तक फसल काट सकते हैं। फरवरी-मार्च तक पपीते लगा देने पर अक्टूबर माह तक फल आने लगता है। एक एकड़ में चार से पांच लाख तक मुनाफा होता है।
विनोद बताते हैं कि एक एकड़ पपीते की खेती में एक से डेढ़ लाख रुपए खर्च आता है। उनके मुताबिक एक एकड़ में चार से पांच लाख रुपए तक मुनाफा हो जाता है। उत्पादन के बाद बाजार की भी कोई समस्या नहीं है। व्यापारी खेतों में ही आकर पपीते तोड़कर ले जाते हैं।
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