Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले इस सड़क को लेकर गरमाई राजनीति, MLA पर लगा गंभीर आरोप
बक्सर के जवहीं मुखिया डेरा गांव में सड़क निर्माण को लेकर विवाद गहरा गया है। विधायक शंभू नाथ सिंह यादव पर भूस्वामियों ने जबरन जमीन पर सड़क बनवाने का आरोप लगाया है। भूस्वामियों का कहना है कि विधायक उनकी सहमति के बिना उनकी जमीन पर मिट्टी डलवा रहे हैं। इस घटना से इलाके की राजनीति गरमा गई है।

संवाद सहयोगी, चक्की (बक्सर)। जवहीं मुखिया डेरा गांव में सड़क निर्माण को लेकर उठे विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। कुछ दिन पहले स्थानीय विधायक शंभू नाथ सिंह यादव ने दावा किया था कि उनकी पहल पर दशकों से लंबित सड़क निर्माण कार्य की शुरुआत हो गई है।
दावा यह भी था कि यह निर्माण भूस्वामियों की सहमति से हो रहा था, लेकिन अब इसी सड़क निर्माण के खिलाफ रैयती जमीन के मालिकों ने अनुमंडल पदाधिकारी और अंचल अधिकारी को एक पत्र सौंपकर विधायक पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पत्र में सीधे तौर पर विधायक पर जबरन और बलपूर्वक उनकी निजी जमीन पर मिट्टी डलवाने और ईंट सोलिंग का काम करवाने का आरोप लगा है। पत्र में विजय कुमार यादव और विजय शंकर यादव नामक दो भूस्वामियों ने अपनी 17-18 कट्ठा खेती वाली रैयती जमीन का जिक्र किया है, जिस पर वे खेती करते हैं।
उनका दावा है कि विधायक उनकी सहमति के बिना ही इस जमीन पर सड़क बनवा रहे हैं। उन्होंने इसे विधायक की गलत मानसिकता और पद का दुरूपयोग बताया है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद विधायक ने गांव पहुंचकर तीन-चार दिनों में सड़क निर्माण शुरू करने का आश्वासन दिया था। उस समय भी कुछ ग्रामीणों की यह आशंका सामने आई थी कि निजी जमीन का इस्तेमाल भूस्वामी पर दबाव बनाकर किया जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम ने आगामी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इलाके की राजनीति को गरमा दिया है।
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
दरअसल, इस गांव के लिए सड़क बनाने के मकसद से सार्वजनिक या सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं है। लोग किसी तरह निजी जमीन से ही आवागमन करते हैं। इसी वजह से अब तक गांव में पक्की सड़क नहीं बन पाई है। सरकार के पास सामान्य तौर पर ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की कोई योजना नहीं रहती है।
सरकार ग्रामीण इलाकों में सड़कों का निर्माण तभी करती है जब जमीन मुफ्त में उपलब्ध रहती है। ऐसे कुछ मामले पहले भी आए हैं, जब भूस्वामी पर दबाव डालकर या उसकी जानकारी के बिना निजी जमीन में सड़क बना दी गई और बाद में न्यायालय के हस्तक्षेप पर उस सड़क को तोड़ना पड़ा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।