Buxar News: SNCU में एक महीने में 23 बच्चों की मौत से हड़कंप, CS ने प्राइवेट अस्पतालों पर फोड़ा ठीकरा
बक्सर सदर अस्पताल के एसएनसीयू में जुलाई में 23 बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया है जो पिछले महीनों से काफी ज्यादा है। अपर मुख्य सचिव ने मामले को गंभीरता से लिया है। सिविल सर्जन ने निजी अस्पतालों से गंभीर हालत में लाए गए बच्चों को इसका कारण बताया है। अस्पताल में संसाधनों और चिकित्सकों की कमी भी एक समस्या है।

जागरण संवाददाता, बक्सर। सदर अस्पताल स्थित SNCU में जुलाई माह में 23 बच्चों की मौत हो गई है। इससे सदर अस्पताल से लेकर पटना तक हड़कंप मच गया है। बताया जाता है कि पिछले महीनों की तुलना में यह आंकड़ा काफी ज्यादा है।
पिछले जून या मई में यह आंकड़ा दस की संख्या भी पार नहीं किया है। ऐसे में एक माह में 23 शिशुओं की मौत ने व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। स्थिति यह है कि जुलाई का शिशु मृत्यु का आंकड़ा देखने के बाद खुद अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने इसे संज्ञान मेें लिया और विभाग से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बात की।
अपर मुख्य सचिव ने यह जानना चाहा कि आखिर एक माह में इतने बच्चों की मौत कैसे हो गई? सूत्र बताते हैं कि विभाग को इसका जवाब देते नहीं बन रहा था। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. शिव कुमार प्रसाद चक्रवर्ती से पूछे जाने पर उन्होंने इसका ठीकरा निजी अस्पतालों पर फोड़ दिया।
सीएस ने बताया कि जुलाई में निजी अस्पतालों से काफी बच्चे आ गए थे। ये बच्चे वहां से अंतिम स्थिति में पहुंचे। लिहाजा उन्हें बचाया नहीं जा सका। सिविल सर्जन ने बताया कि इस पर अपर मुख्य सचिव के साथ रिव्यू हुआ है और उन्हें सारी जानकारी दी गई है।
सीएस की माने तो सदर अस्पताल में जन्म लेने वाले केवल दो बच्चों की मौत हुई है। उनमें शेष बच्चे निजी अस्पताल के थे, जबकि एक सासाराम से आया बच्चा तथा एक घर पर हुए प्रसव से जन्मा बच्चा था, जिनको अस्पताल बचा नहीं पाया।
संसाधनों की कमी से जूझ रहा अस्पताल
दूसरी तरफ सूत्रों की मानें तो एसएनसीयू की व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। वहां चिकित्सक एवं कर्मियों की भी कमी है। इसका नतीजा यह होता है कि जो लोग वहां प्रतिनियुक्त हैं, उन पर दबाव ज्यादा रहता है।
इसके अलावा बताया जाता है कि आक्सीजन की आपूर्ति भी कभी-कभी प्रभावित हो जाती है। हालांकि, सीएस ऐसा नहीं मानते। उन्होंने बताया कि आक्सीजन की कोई दिक्कत वहां नहीं है।
वैसे चिकित्सकों की कमी को उन्होंने भी स्वीकार किया। सीएस ने माना कि वहां पर्याप्त चिकित्सक नहीं हैं। उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी भी राज्य को दे दी गई है।
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