Buxar News: खरीफ से रबी सीजन के बीच फंसे किसान, खेतों में जलभराव से खेती पर लगा ब्रेक
बक्सर में किसान खरीफ और रबी सीजन के बीच जलभराव के कारण फंस गए हैं। बारिश से खेतों में पानी भरने के कारण अगली फसल की बुआई रुक गई है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। किसानों को सरकार से मदद की उम्मीद है ताकि वे इस मुश्किल समय से बाहर निकल सकें और रबी फसल की बुआई समय पर कर सकें।

संवाद सहयोगी, चौसा (बक्सर)। प्रखंड में इस बार मौसम की मार ने खेती की पूरी चक्र व्यवस्था को प्रभावित कर दिया है। धान की कटाई का समय बीतने के बाद भी खेतों में पानी भरा रहने से किसान अगली फसल की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं। इससे जहां खरीफ की उपज नुकसान की कगार पर है, वहीं रबी फसल की बोवाई पर भी बड़ा खतरा मंडराने लगा है।
खेतों में जमा पानी किसानों के लिए दोहरी मार साबित हो रहा है। एक ओर तैयार धान गिरकर खराब हो रहा है, दूसरी ओर गेहूं, मसूर और चना की बुआई का सही समय गुजरता जा रहा है।
कई गांवों के किसानों ने बताया कि निचले क्षेत्र के इलाकों में जलभराव की स्थिति ज्यादा गंभीर है। कटाई मशीनें खेतों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, जबकि हाथ से कटाई करना लागत और श्रम के हिसाब से असंभव होता जा रहा है।
मजबूरी में किसान पंपिंग सेट लगाकर पानी निकालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन डीजल दाम और मशीन संचालन का खर्च उनकी आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर रहा है। किसानों ने बताया कि फसल खेत से घर लाने में देरी होने से दाना काला पड़ने और उत्पादन घटने की संभावना बढ़ गई है।
खेती-किसानी से जुड़े स्थानीय नरबतपुर के राहुल सिंह, कठघरवा के कालीचरण यादव, महुवारी के निर्मल सिंह, कठतर के पप्पू आदि किसानों का कहना है कि रबी फसल की बुआई के लिए दिसंबर का शुरुआती दौर ही सबसे प्रभावी माना जाता है। यदि खेत समय पर सूखे और जुताई नहीं हो सकी, तो बुआई में देरी होगी और परिणामस्वरूप उत्पादन घटेगा।
कई किसानों ने आशंका जताई कि यदि एक-दो सप्ताह में हालात नहीं सुधरे तो पूरे वर्ष की आय प्रभावित होगी और कर्ज का बोझ भी बढ़ेगा। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि प्रभावित इलाकों का सर्वे और मुआवजा/अनुदान की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए।
उनका कहना है कि मौजूदा हालात सिर्फ मौसम की समस्या नहीं, बल्कि कृषि ढांचे की कमजोरी भी उजागर कर रहे हैं।
कृषि जानकारों का भी मानना है कि लगातार बारिश, जलभराव और देरी से हो रही कटाई से जिले में कुल उत्पादन में उल्लेखनीय गिरावट का अनुमान है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में खेती पर निर्भर परिवार चिंतित हैं और तत्काल राहत की उम्मीद में प्रशासन की ओर देख रहे हैं।

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