पांच लीटर से अधिक दूध देती हैं घोड़परास! बक्सर के पूर्व विधायक का दावा, साझा की एक घटना, राजस्थान मॉडल की भी वकालत
बिहार के बक्सर से एक अनोखा दावा सामने आया है। पूर्व विधायक ने कहा है कि घोड़परास पांच लीटर से अधिक दूध देती हैं। उन्होंने एक घटना साझा करते हुए राजस् ...और पढ़ें

फसल क्षति का कारण बनते हैं घोड़परास। जागरण आर्काइव
संवाद सहयोगी, ब्रह्मपुर(बक्सर)। किसानों के फसलों की बर्बादी के कारण बने घोड़परास के दूध पर शोध करके उसे बहुउद्देशीय उपयोग में लाया जा सकता है। यदि शोध का परिणाम कामयाब रहा तो वन्य जीव आर्थिक विकास के भी कारण बन सकते हैं। एक घोड़परास पांच से सात लीटर तक दूध देते हैं।
पूरे राज्य में आजकल घोड़परास के आतंक से फसलों की बर्बादी और किसानों की परेशानी एक गंभीर समस्या बन गई है और लगातार जटिल होती समस्या सरकार से लेकर आम जनता के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
लेकिन वर्षों से इस समस्या पर विधानसभा में सवाल उठाने वाले भाजपा के पूर्व विधायक डॉ स्वामी नाथ तिवारी घोड़परास के संबंध में कई तरह की महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं।
राजस्थान मॉडल हो सकता कारगर
बताते हैं कि इसी तरह घोड़परास का आतंक राजस्थान में भी काफी बढ़ गया था और वहां की सरकार भी काफी परेशान हो गई थी। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरव सिंह शेखावत ने घोड़परास का बंध्याकरण करा कर उनकी बढ़ती हुई जनसंख्या को रोक दिया।
उन्होंने इसी फार्मूले को बिहार में लागू करने की मांग करते हुए यह भी कहा कि इनका दूध काफी उपयोगी साबित हो सकता है। डॉ. तिवारी का दावा हैं कि एक घोड़परास पांच से सात लीटर तक दूध देती हैं। उनके दूध पर वैज्ञानिकों द्वारा शोध करके उसके परिणाम को देखा जा सकता है और दवा बनाने से लेकर कई तरह के बहुउद्देशीय कार्य में उपयोग किया जा सकता है।
स्वयं निकाला था पांच लीटर दूध
लेकिन यह सब शोध के बाद ही संभव है। उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि वर्षों पूर्व उनके गांव नैनीजोर में एक मादा घोड़परास बाढ़ के पानी और झुरमुट में फंस गई थी। उसके थन में दूध भरा हुआ था और वह जोर-जोर से रंभा रही थी। ऐसी स्थिति में उन्होंने खुद घोड़परास को दूह लिया।
इसके बाद वह शांत हो गई और उसे झुरमुट से बाहर निकाला गया। वह दूध लगभग पांच लीटर था। किसी में छह या सात लीटर भी दूध होता है, लेकिन उनके दूध को लेकर कभी शोध नहीं किया गया।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि शोध के बाद उनके दूध किसी न किसी उपयोग के लायक जरूर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि डुमरांव में घोड़परास के लिए किया जाने वाला प्रयास का कोई सकारात्मक परिणाम अब तक देखने को नहीं मिला। उन्होंने सरकार से इस दिशा में सार्थक प्रयास कर राज्यव्यापी संकट को दूर करने की मांग की।

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