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    BPSC Exam: बिना किसी निष्कासन के पूरी हुई परीक्षा, छात्रों ने बताया कैसा रहा BPSC Question Paper

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 07:37 PM (IST)

    बक्सर जिले में बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित 71वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा कड़ी सुरक्षा में संपन्न हुई। 10236 में से 7042 परीक्षार्थी उपस्थित हुए। जिलाधिकारी ने परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण किया और कदाचार मुक्त परीक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। परीक्षा के बाद शहर में परीक्षार्थियों की भीड़ उमड़ पड़ी जिन्होंने पेपर को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी।

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    स्टेशन पर उमड़े BPSC Exam के परीक्षार्थी। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, बक्सर। जिले में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) पटना द्वारा आयोजित एकीकृत 71वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में ली गई। इस दौरान कहीं से किसी परीक्षार्थी के निष्कासन की सूचना नहीं है।

    BPSC Exam 2025 को लेकर प्रशासनिक अमला पूरी तरह अलर्ट रहा। जिलाधिकारी डॉ. विद्यानंद सिंह ने कई परीक्षा केंद्रों का जायजा लिया। जिला दंडाधिकारी ने परीक्षा केंद्र पर प्रतिनियुक्ति दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी, केंद्राधीक्षक एवं वीक्षकों को भ्रमणशील रहते हुए शांतिपूर्ण एवं कदाचार रहित परीक्षा संचालन का निर्देश दिया।

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    जिला नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार कुल 10236 परीक्षार्थियों को परीक्षा देनी थी, हालांकि, 7042 परीक्षार्थी ही परीक्षा में उपस्थित हुए। शेष 3194 परीक्षार्थियों ने परीक्षा नहीं दी। दोपहर 12 बजे से प्रारंभ हुई परीक्षा का उड़नदस्ता दल समेत प्रशासनिक अधिकारियों ने निरीक्षण किया।

    निर्धारित अवधि में अधिकारियों की गाड़ियां लगातार परीक्षा केंद्रों का मुआयना करती रहीं। जिलाधिकारी ने भी अपर समाहर्ता अरुण कुमार सिंह के साथ एमपी हाईस्कूल एवं बीबी हाई स्कूल परीक्षा केंद्र का निरीक्षण किया।

    जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी अमित कुमार ने बताया कि शांतिपूर्ण माहौल में बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा संपन्न हुई। इस दौरान किसी परीक्षा केंद्र से कोई परीक्षार्थी निष्कासित नहीं हुआ।

    परीक्षा को लेकर गुलजार रहा शहर, स्टेशन पर उमड़े परीक्षार्थी

    परीक्षा को लेकर शहर गुलजार रहा। एक साथ इतने परीक्षार्थियों के आ जाने से शहर की हलचल बढ़ गई थी। परीक्षा छूटने के बाद तो जैसे सड़क पर जाम की नौबत आ गई। हालांकि, कहीं जाम नहीं लगा।

    चूंकि अधिकतर परीक्षार्थी बाहर के थे। ऐसे में परीक्षा संपन्न होने के साथ ही स्टेशन पर परीक्षार्थियों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान वहां जो ट्रेन मिली उस पर लदकर ये अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए।

    यातायात निरीक्षक विंध्याचल पांडेय ने बताया कि परीक्षा संपन्न होने के बाद जब परीक्षार्थी स्टेशन पर पहुंचे तो वहां पूरब की तरफ जाने के लिए स्पेशल ट्रेन खड़ी थी। अधिकतर परीक्षार्थी उसी में रवाना होकर चले गए।

    किसी ने कहा- इजी टू टफ था पेपर, तो किसी ने कहा- बढ़िया

    बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा देकर केंद्र से बाहर आए परीक्षार्थियों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। किसी ने कहा इजी टू टफ था पेपर तो किसी ने बताया बढिया। हालांकि, परीक्षार्थियों के चेहरे देखकर यह लग रहा था कि अधिकतर लोग परीक्षा से संतुष्ट थे।

    साइंस की परीक्षा में इस बार न्यूमेरिकल वाले सवाल पूछे गए थे। यह पहली बार था। इसमें वक्त ज्यादा लग गया। बाकी भूगोल, रिजनिंग वगैरह सही था। - चंदन कुमार, झांसी

     इजी टू टफ था पेपर। यह शुरुआत में आसान लग रहा था लेकिन और धीरे-धीरे टफ लगने लगा। करंट अफेयर्स और रिजनिंग के सवाल उलझन में डालने वाले थे। - अंकिता कुमारी, पटना

    करंट अफेयर्स के अंतर्गत पूछे गए सवाल कुछ हद तक लीक से हटकर थे। बाकी सारे सब्जेक्ट के सवाल ठीक थे। उन्हें ज्यादा कठिन नहीं कहा जाएगा। -आलोक कुमार, पटना

    वैसे तो कुल मिलाकर पेपर ठीक था लेकिन साइंस के सवाल थोड़ा लेंदी थे। उसमें न्यूमेरिकल वाले सवालों ने ज्यादा समय ले लिया। - शशिकांत, पूर्वी चंपारण

    सवाल इतने आसान नहीं थे कि उनका जवाब जल्दी से लिख दिया जाए। उन्हें समझने और सोचने में समय लगा, जिससे पेपर की गति धीमी हो गई।  -अपूर्व पुष्कल, जहानाबाद

    साइंस के पेपर में सवालों की संख्या सामान्य से ज्यादा थी, जिस कारण सब सवालों को हल करने में काफी समय लगा। न्यूमेरिकल ने भी समय लिया।  -स्वाति कुमारी, सासाराम

    पेपर के पहले हिस्से में आसान और सीधे सवाल थे, जिन्हें हल करना आसान था। बीच में न ज्यादा आसान, न ज्यादा मुश्किल, यानी औसत दर्जे के सवाल थे।  -श्रद्धा कुमारी, आरा

    करंट अफेयर्स के सवाल माडरेट से कठिन थे। यह सेक्शन काफी मुश्किल लगा। इसमें पूरे देश से संबंधित करंट अफेयर्स के सवाल शामिल थे।   - अशरफ आलम, लखनऊ

    सवालों का पैटर्न तथ्यात्मक और वैचारिक दोनों तरह का था। तथ्यात्मक का उत्तर आसान था तो वैचारिक सवालों के जवाब कठिन थे। - प्रियंका सिंह, रांची