New Year 2025: भगवान के आशीर्वाद से करना चाहते हैं साल की शुरुआत, बिहार के इन फेमस मंदिरों में करें दर्शन
साल 2024 के खत्म होने में कुछ ही दिन बचे हैं इसके बाद नए साल की शुरुआत होगी। साल 2025 की शुरुआत से पहले ही लोगों ने नए साल का जश्न मनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वहीं कुछ लोग नए साल की शुरुआत भगवान के आशीर्वाद से करेंगे। बक्सर के डुमरांव के कंचनेश्वर शिव मंदिर और कोपवां के काली मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को मिलेगी।

रंजीत कुमार पांडेय, डुमरांव (बक्सर)। प्राकृतिक सौंदर्य को निहारती और चारों ओर फैली हरियाली, हिरणों का विचरता झुंड, नीलगायों की नीली आंखें और सैकड़ों एकड़ में फैला उपवन...! यह परिचय है डुमरांव-बिक्रमगंज राष्ट्रीय राजमार्ग- 120 से सटे कांव नदी के तट पर स्थित विनोबा वन का।
सैकड़ों एकड़ में फैले इस वन में उत्तर गुप्त कालीन शिवलिंग स्थित है। ऐसा मानना है कि यहां आने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कंचनेश्वर शिव मंदिर में उमड़ती है भक्तों की भीड़
विनोबा वन में प्राकृतिक सौंदर्य के बीच कुछ पल गुजरने के लिए दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से लोग पहुंचते हैं। यहां नववर्ष का जश्न मनाने के लिए काफी संख्या में युवक और पहुंचते हैं और भगवान कंचनेश्वर शिव का दर्शन-पूजन के बाद प्राकृतिक आबोहवा के बीच कुछ समय व्यतीत करते हैं।

कंचनेश्वर शिव मंदिर
- यहां भूदान आंदोलन के नायक संत विनोबा भावे ने वर्ष 1954 ईसवी के दौरान कई वर्षों तक प्रवास पर रहकर कंचनेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना की थी।
 - विशेष तौर पर उसी समय से इस शिव मंदिर के प्रति इलाकाई श्रद्धालुओं का आस्था और विश्वास जुड़ा है।
 - प्राचीन कंचनेश्वर शिव मंदिर पेड़ों व झाड़ियों के बीच अवस्थित होने से काफी सुहावना लगता है।
 - पूरे मंदिर परिसर में प्राकृतिक रूप से लगे पेड़-पौधे व झाड़ियों से काफी मनोरम दृश्य है।
 - मंदिर के समीप स्थित अति प्राचीन बरगद का पेड़ और आकर्षक लगता है।
 
नए साल में लगती है भक्तों की भीड़
यहां नववर्ष का जश्न मनाने के लिए दूर दराज से लोग यहां पहुंचते हैं। भगवान कंचनेश्वर शिव मंदिर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय, डीआइजी विकास वैभव और पूर्व मंत्री संतोष निराला सहित कई राजनीतिक हस्तियों द्वारा विशाल भूभाग पर फैला संत विनोबा वन को पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाने और यहां स्थित उत्तर गुप्तकालीन मूर्तियों के संरक्षण की बात कही गई थी।
भव्यता व रमणीयता के लिए प्रसिद्ध है कोपवां का काली मंदिर
अनुमंडल के कोपवां गांव में स्थित मां काली के प्रति पूरे इलाके में श्रद्धालु भक्तजनों का अटूट आस्था व विश्वास जुड़ा है। शारदीय, वासंतिक और गुप्त नवरात्र के साथ ही प्रत्येक अमावस्या को रतजगा के लिए भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है।
अब तो यहां अन्य दिनों में भी श्रद्धालुअपनी आस्था के साथ आते हैं और माता रानी के दरबार में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। इस मंदिर प्रांगण में मां काली के अलावा अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित है।
भव्य और आकर्षक मंदिर में स्थापित शक्ति स्वरूपा के दर्शन के लिए दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से लोग आते रहते हैं। श्रद्धालुओं का ऐसा मानना है कि यहां मां काली की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से नववर्ष के दौरान काफी संख्या में यहां भक्तजनों की भीड़ रहती है।
पुराने साल की विदाई और नववर्ष के आगमन में एक सप्ताह से भी कम समय बचा है, जिसे लेकर आम लोगों में जश्न का माहौल है। नव वर्ष के आगमन के स्वागत और जश्न की तैयारी में लोग अपने-अपने तरह से जुटे हैं। पूरे इलाके में नववर्ष के आगमन को लेकर काफी उत्साह का माहौल दिख रहा है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।