Bihar Dhan Kharid: इस जिले में सहकारी समिति में फसल नहीं बेच रहे किसान, व्यवसायियों की ओर कर रहे रुख; ये कारण आए सामने
जिले की सहकारी समितियों में धान खरीद की रफ्तार धीमी गति से चल रहा है। कहीं नमी की बात तो कहीं राइस मिल टैग नहीं होने का बहाना बनाकर किसानों से पल्ला झ ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बक्सर। जिले की सहकारी समितियों में धान खरीद की रफ्तार धीमी गति से चल रहा है। कहीं नमी की बात, तो कहीं राइस मिल टैग नहीं होने का बहाना बनाकर किसानों से पल्ला झाड़ा जा रहा है। नतीजा किसान व्यवसायी के हाथों अपनी फसल का उत्पादन बेचने लगे हैं।
पिछले साल की तुलना में इस बार खुले बाजार में धान का मूल्य अधिक मिलने से किसान पैक्स की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं। हालांकि, पैक्स और खुले बाजार की कीमत में करीब 300 रुपए प्रति क्विंटल का अंतर है। अभी जिले में पैक्सों में खरीदे जाने वाले धान की कुटाई के लिए राइस मिलों को टैग नहीं किया गया है।
इससे खरीदारी के बाद गोदामों में धान रखने के बाद जगह कम होने का हवाला दिया जा रहा है। ऐसे में खरीदारी कही-कही बाधित होने लगी है। जिला सहकारिता पदाधिकारी प्रभाकर कुमार ने बताया कि धान की कुटाई के लिए सात उसना मिल को टैग किया जाएगा।
इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इस साल भी उसना सीएमआर फोर्टिफाइड चावल ही लिया जाएगा। इसके लिए मिल टैगिंग की प्रक्रिया चल रही है। इस साल एक लाख 71 हजार 9 सौ 42 टन धान खरीद का लक्ष्य रखा गया है।
व्यवसायी सीधे खेत-खलिहान से कर रहे धान खरीद
अधिप्राप्ति के लिए सरकार सामान्य धान का मूल्य 2183 तथा ग्रेड ए का मूल्य 2204 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, जबकि व्यवसायी खलिहान तथा खेत से ही 1850 से 19 सौ रुपए प्रति क्विंटल धान खरीद रहे हैं। इसमें किसानों को कोई मेहनत या अतिरिक्त खर्चा नहीं करना पड़ रहा है। ऐसे में किसान व्यापारी को धान बेचने में अपनी भलाई समझ रहे हैं।
इधर पैक्स व व्यापार मंडल में धान बेचने के लिए बोरी में भरकर वाहनों के सहारे क्रय केंद्र पर पहुंचना पड़ता है। इसमें अतिरिक्त खर्च किसानों को वहन करना पड़ता है।
इससे बचने के लिए किसान व्यापारियों को धान बेच रहे हैं। जिले में 15 नवंबर से धान खरीदारी शुरू है। इसमें सोमवार तक 2437.74 टन खरीद ही सरकारी आंकड़ों के अनुसार हुई है।
खरीदारी के लिए 126 पैक्स व छह व्यापार मंडल का चयन हुआ है। अभी जिस रफ्तार से पैक्स और साहूकार धान खरीद रहे हैं, उसके अनुसार सहकारिता विभाग का लक्ष्य पूरा होना मुश्किल दिख रहा है। दरअसल, साहूकार किसानों का ज्यादातर धान खरीदकर तेजी से राज्य के बाहर भेजते जा रहे हैं।

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