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    बक्सर में कैथी लिपि पर होगी तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला, भूमि रिकॉर्ड को समझने में मिलेगी मदद

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 03:01 PM (IST)

    कैमूर जिले के बैजनाथ शिव मंदिर मधेपुरा के श्रीनगर मधुबनी के अंधराठाढ़ी और भागलपुर के बटेश्वर शिव मंदिर में मिले शिलालेख इस लिपि की प्राचीनता को दर्शाते हैं। शेरशाह सूरी के समय से लेकर अमर शहीद बाबू वीर कुंवर सिंह और दरभंगा महाराज जैसे जमींदारों के जमीन संबंधी दस्तावेज कैथी लिपि में लिखे गए थे।

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    कैथी लिपि पर होगी तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला, भूमि रिकार्ड को समझने में मिलेगी मदद

    जागरण संवाददाता, बक्सर। सीताराम उपाध्याय संग्रहालय, बक्सर और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक), पटना चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में बिहार की प्राचीन कैथी लिपि के संरक्षण और प्रचार के लिए दो से चार अगस्त तक बक्सर में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। संग्रहालयाध्यक्ष डा. शिव कुमार मिश्र ने बताया कि पंजीकरण प्रक्रिया 18 जुलाई से शुरू हो गयी है।

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    पंजीयन के लिए आप संग्रहालय में आकर संपर्क कर सकते हैं। सीमित स्थान होने के कारण जमीन संबंधी पेशेवरों, राजस्व कर्मचारियों, अमीन, अधिवक्ताओं और बैंक कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी। यह कार्यशाला न केवल कैथी लिपि के संरक्षण में योगदान देगी, बल्कि जमीन संबंधी दस्तावेजों के अध्ययन और न्याय प्रक्रिया को भी सुगम बनाएगी। कार्यशाला की घोषणा के अवसर पर अभिराम दुबे, वरिष्ठ पत्रकार राम मुरारी, विमल यादव, मोहम्मद मुश्ताक हुसैन, अनिकेत कुमार, मोहम्मद आशिक, रामरुप ठाकुर, अभिशेष चौबे, अभिनंदन कुमार सहित संग्रहालय के अन्य कर्मी उपस्थित थे।

    कैथी लिपि का महत्व और चुनौतियां

    कैथी लिपि बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, जिसका उपयोग लगभग एक हजार वर्षों से हो रहा है। कैमूर जिले के बैजनाथ शिव मंदिर, मधेपुरा के श्रीनगर, मधुबनी के अंधराठाढ़ी और भागलपुर के बटेश्वर शिव मंदिर में मिले शिलालेख इस लिपि की प्राचीनता को दर्शाते हैं। शेरशाह सूरी के समय से लेकर अमर शहीद बाबू वीर कुंवर सिंह और दरभंगा महाराज जैसे जमींदारों के जमीन संबंधी दस्तावेज कैथी लिपि में लिखे गए थे।

    भूमि सर्वेक्षण में बढ़ी कैथी लिपि की अहमियत

    वर्तमान में बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के दौरान पुराने दस्तावेजों को पढ़ने में कठिनाई हो रही है, क्योंकि इस लिपि का ज्ञान राजस्व कर्मचारियों, अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों में लगभग नहीं के बराबर है। इससे जमीन संबंधी मामलों के निपटारे और बैंक ऋण प्रक्रिया में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। बिहार के विभिन्न न्यायालयों में सबसे अधिक लंबित मामले भी जमीन से संबंधित हैं।

    संरक्षण और प्रशिक्षण के प्रयास

    डा. मिश्र ने बताया कि उनकी टीम ने पटना, दरभंगा, भागलपुर, नवादा और बेगूसराय में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिनमें हजारों लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। बिहार सरकार के राजस्व विभाग ने भी अपने कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण शुरू किया है। प्रीतम कुमार और वकार अहमद जैसे प्रशिक्षित युवाओं ने कई जिलों में सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया है। इसके अलावा, कैथी लिपि प्रशिक्षण के लिए एक बुकलेट प्रकाशित की गई है, और तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया गया है।

    सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

    इनटैक पटना के कन्वेनर और वरिष्ठ इतिहासकार भैरव लाल दास ने कैथी लिपि का इतिहास नामक पुस्तक लिखी है, जो इस लिपि के महत्व को रेखांकित करती है। बक्सर जिले की कला एवं संस्कृति पदाधिकारी प्रतिमा कुमारी ने कहा कि यह कार्यशाला बिहार की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इस आयोजन को मैथिली साहित्य संस्थान, बिहार पुराविद् परिषद, इनटैक और भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर जैसे संगठनों का आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ है।