काबुल के 'चमन' को कबूल कीजिए जनाब
जागरण संवाददाता, बक्सर : काबुल के चमन को कबूल कीजिए जनाब! ये अल्फाज उस ठेला विक्रेता मो.सदिक के हैं, जो शुक्रवार को शहर में घूम-घूमकर अंगूर बेच रहा था। उसने बताया कि अंगूर फारसी शब्द है। मीठे व रसीले अंगूर अफगानिस्तान के एक नदी किनारे बसे काबुल शहर के चमन में होती है। तकरीबन 70 वसंत देख चुके सदिक ने बताया कि वह पहले उसे बेच चुका है। अब अपने देश नासिक से इसे मंगाया जाता है।
अभी बाजार में बनारस की पहड़िया मंडी से थोक व्यवसायी मंगा रहे हैं। जिसे 60 रूपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है। अगले बीस दिनों में वहां से भी आना शुरू हो जायेगा। तब भाव में कमी आने की भी गुंजाइश है। वैसे तो अंगूर अपने शहर में किसी खास मौके पर ही बिकते दिखता है। लेकिन, अब इसकी आवक में तेजी आ गई है। प्राय: हर फल विक्रेताओं ने इसे संजोना शुरू कर दिया है। सेहत के लिहाज से इसके कई फायदे भी है। बताते है, विटामिन 'ए' व 'सी' की प्रचुर मात्रा से भरे ये रसीले फल बच्चे, बूढ़े व दुर्बल लोगों के लिये बल देने वाला है। पोटाशियम युक्त ये फल कीडनी संबंधित रोग, हाई ब्लडप्रेशर व चर्मरोग में भी लाभकारी है। तकरीबन पचीस फीसद शर्करा युक्त इस मीठे फल में आयरन के मौजूद होने से खून की कमी वाले रोगियों के सेवन किये जाने से उनके हिमोग्लोबिन को बढ़ाने में सहायक है। कहतें है, कब्ज दूर करने व आंत एवं लीवर के लिये भी इसे हितकारी माना गया है।
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