वैदिक मर्यादा को मानने वाला वैष्णव
भोजपुर। मानव जीवन दुर्लभ है। जो इसे सार्थक बना लिया वह साधु है। जो चूक जाता है, वह चक्र में फं ...और पढ़ें

भोजपुर। मानव जीवन दुर्लभ है। जो इसे सार्थक बना लिया वह साधु है। जो चूक जाता है, वह चक्र में फंस जाता है। जीवन-साध्य को साधने वाला जीवन और मृत्यु दोनों को मंगलमय बना लेता है। चुकने वाला पश्चाताप की अग्नि में जलते हुये मृत्यु को प्राप्त होता है। उपरोक्त बातें श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी ने चंदवा चातुर्मास ज्ञान-यज्ञ में प्रवचन करते हुए कहीं। स्वामी जी ने श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के तहत राजा पृथु और सनकादि ऋषियों से संवाद की चर्चा करते हुए कहा कि राजा पृथु ने ऋषियों से पूछा कि भगवत प्रेम का सहज उपाय क्या है? राजा के प्रश्न से भाव विभोर ऋषियों ने कहा कि भगवान से प्रेम करने लिए अनेक उपाय हैं। उन्होंने 16 उपाय सुझाए, जिनमें 'गुरु एवं शास्त्र के वचनों पर विश्वास करना, प्रभु का प्रियव्रत, जो सदाचार है इसका पालन करना, ब्रऽ एवं जगत दोनों को जानना, योग-साधना करना, उपासना करना, रोज प्रभु के अवतार आदि कथा को सुनना, विषयी एवं धनाढ्य पुरुषों से दूर रहना, विषय वर्धक भोजन एवं वस्तु का त्याग, एकांत सेवन एवं अपने में संतुष्ट रहना, ¨हसा का त्याग, आत्म कल्याण में तत्परता, प्रभु के चरित्र को सुनना, कामना-त्याग, यम-नियम आदि को करना, पर ¨नदा त्याग, योग क्षेम का प्रयत्न नहीं करना, सुख-दुख में सम रहना एवं परमात्मा भक्ति करना।

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