आरा व्यवहार न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन, न्यायिक व्यवस्था को मिली मजबूती
आरा व्यवहार न्यायालय परिसर में जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। प्रभारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने दीप प्रज्वलन कर उद्घाटन किया। 16 पीठों के माध्यम से 1430 मामलों का निपटारा किया गया जिनमें बैंक और सुलहनीय वादों से संबंधित मामले शामिल थे।

जागरण संवाददाता,आरा। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में शनिवार को तीसरा राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन व्यवहार न्यायालय परिसर में किया गया। इस अवसर पर प्रभारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र कुमार पांडा की अध्यक्षता में दीप प्रज्वलन कर विधिवत उद्घाटन किया गया।
राष्ट्रीय लोक अदालत के शुभारंभ अवसर पर प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय आशुतोष कुमार, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव गौतम कुमार, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार मिश्रा, सचिव मनमोहन ओझा, वरीय अभियोजन पदाधिकारी मणिक कुमार सिंह, जिला शासकीय अधिवक्ता रामधनी भारती, लोक अभियोजक राणा प्रताप सिंह, जिला अग्रणी प्रबंधक नीरज कुमार, दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक व भारतीय स्टेट बैंक के पदाधिकारी, न्यायिक पदाधिकारीगण तथा पक्षकारगण मौजूद रहे।
सभी अतिथियों ने राष्ट्रीय लोक अदालत की महत्ता और इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। आरा व्यवहार न्यायालय में 16 पीठ का गठन, हजारों मामले निष्पादित किया गया। प्रभारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र कुमार पांडा ने बताया कि इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 16 पीठों का गठन किया गया था। इन पीठों में विभिन्न प्रकार के मामलों को आपसी समझौते के आधार पर निपटाया गया।
दिनभर की कार्यवाही के दौरान कुल 1430 मामलों का निष्पादन किया गया। इनमें से बैंक संबंधी 621 मामलों का निपटारा किया गया, जबकि न्यायालय में लंबित 806 सुलहनीय वादों का समाधान निकाला गया। इसके अलावा बीएसएनएल से संबंधित तीन मामलों का भी निपटारा सफलतापूर्वक किया गया।
करोड़ों की राशि समझौते में तय
लोक अदालत का सबसे बड़ा लाभ यह रहा कि पक्षकारों के बीच आपसी सहमति से करोड़ों रुपये के विवादों का निपटारा हुआ। कुल मिलाकर 7 करोड़ 42 लाख 9 हजार 192 रुपये की राशि आपसी समझौते के तहत तय हुई। यह राशि विभिन्न बैंक मामलों, ऋण वसूली और अन्य विवादित मामलों से संबंधित थी। इससे न केवल पक्षकारों को राहत मिली बल्कि न्यायालय पर लंबित मामलों का बोझ भी कम हुआ।
लोक अदालत का लगातार तैयारी का दिखा असर। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव गौतम कुमार ने बताया कि इस राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए पिछले चार महीनों से लगातार तैयारी की जा रही थी। इस दौरान सभी कार्यालय कर्मियों और पारा विधिक स्वयंसेवकों ने मेहनत की। जागरूकता अभियान चलाकर पक्षकारों को लोक अदालत में आने और समझौते के माध्यम से मामले निपटाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। यही वजह रही कि बड़ी संख्या में लोग लोक अदालत का हिस्सा बने।
न्यायिक व्यवस्था को मिली मजबूती
राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन से यह साबित हुआ कि आपसी सुलह और समझौते से न केवल विवादों का निपटारा तेजी से संभव है बल्कि पक्षकारों का समय और धन दोनों की बचत होती है। इस अवसर पर न्यायिक पदाधिकारियों ने कहा कि लोक अदालत एक ऐसा सशक्त मंच है जो समाज में न्याय के प्रति विश्वास को मजबूत करता है और न्यायपालिका पर भार कम करने में भी सहायक है।
राष्ट्रीय लोक अदालत के इस आयोजन ने भोजपुर जिले के न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा गया है। बड़ी संख्या में मामलों का निष्पादन और करोड़ों रुपये की समझौता राशि इसका प्रमाण है कि यदि पक्षकार आपसी सहमति से आगे आते हैं तो विवाद वर्षों तक अदालतों में लंबित रहने के बजाय कुछ ही घंटों में समाप्त किए जा सकते हैं।
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