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    आरा के सोन नदी में पिलर में टकराकर नाव के हुए दो टुकड़े, नाविकों ने 14 लोगों को बचाया

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 03:18 PM (IST)

    कोईलवर में सोन नदी पर बने सिक्सलेन पुल के पास एक नाव लोहे के खंभे से टकराकर टूट गई जिससे उस पर सवार कई लोग डूबने लगे। स्थानीय नाविकों ने तत्परता दिखाते हुए 14 लोगों की जान बचाई। घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया। यह घटना अवैध खनन रोकने के लिए लगाए गए पिलर के कारण हुई।

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    सोन नदी में पिलर में टकरा नाव के हुए दो टुकड़े। (जागरण)

    संवाद सूत्र, कोईलवर(आरा)। कोईलवर में नए सिक्सलेन पुल के छठे पाया के समीप सोन नदी में लोहे के पिलर में टकरा नाव दो टुकड़ों में फट गया। जो कोईलवर से बाजार कर नाव से सुरौधा टापू पर लौट रहे थे।

    जिस पर सवार एक दर्जन से ज्यादा लोग नदी की तेज धारा में बह गए और डूबने लगे। इस मंजर को देख सोन नदी किनारे बैठे लोगों ने हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया। सोन नदी में डूब रहे एक व्यक्ति सुरेंद्र कृष्ण और दो महिलाओं को बाल पकड़ किसी तरह सिक्सलेन पुल के खम्भे से टिकाया गया।

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    सभी को बचाया गया

    इधर, हो हल्ला सुन नदी किनारे रह रहे बनपर टोला के नाविक सोनू, रामबाबू, कृष्णा, रामजी, बेनी कुमार, सन्नी, मनीष, करू, सोनू, करण, मुन्ना चार नाव लेकर मौके पर पहुंच गये। नदी के तेज धारा में बह रहे और डूबते लोगों को एक-एक कर सभी को बचा लिया।

    जिसमें प्रभु राय, कमल राय, दसई, मनीष कुमार, सुरेंद्र कृष्ण, गोरख, सल्लू, बन्धु राय, लालमुनि देवी, सुगा देवी, नीतीश और उसके भाई को इलाज के सीएचसी कोईलवर लाया गया। जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया।

    लौट रहे थे सुरौधा टापू

    सुरौधा टापू निवासी प्रभु राय ने बताया कि कोईलवर बाजार आये थे। शाम में लगभग पांच बजे गोरया घाट से एक छोटे नाव पर एक दर्जन से ज्यादा लोग सवार होकर वापस सुरौधा टापू लौट रहे थे। इस दौरान कोईलवर सिक्सलेन पुल के समीप अवैध खनन रोकने के लिए लोहे गाड़े गये पिलर के सम्पर्क में आते ही नाव दो टुकड़ों में फट गया।

    जिस पर सवार सभी लोग नदी के तेज धार में बह डूबने लगे। संयोग अच्छा था कि स्थानीय लोग नदी में नाव लेकर पहुंच गए और सभी को बचा लिया। इधर, घटना की सूचना मिलते ही पूर्व मुख्य पार्षद विरमनु, कोईलवर पुलिस समेत सैकड़ों लोग नदी किनारे पहुंचे।

    स्थानीय लोगों ने पुलिस से हाई स्पीड मोटर को तैनात करने की मांग की। मालूम हो कि बाढ़ के दिनों में सुरौधा टापू चारों तरफ से घिर जाता है। टापू पर आवागमन के लिए नाव ही एकमात्र साधन है।