Shardiya Navratri 2025: इस साल नव नहीं दस दिन की होगी नवरात्रि, ग्यारहवें दिन विजयादशमी
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 10 दिनों की होगी जिसका प्रारंभ 22 सितंबर से होगा और विजयदशमी 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इन दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाएगी। इस बार माता का आगमन हाथी पर हो रहा है। चतुर्थी तिथि दो दिन होने से नवरात्रि 10 दिन की होगी जिसे शुभ माना गया है।

विजय कुमार ओझा,उदवंंतनगर(भोजपुर)। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर, सोमवार से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। इस दौरान प्रतिपदा से नवमी तक मां दुर्गा की नौ रूपों की पूरी भक्ति भाव और श्रद्धा से आराधना की जाती है। शारदीय नवरात्र को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो नवरात्रि पूरे देश में धूम धाम से मनाई जाती है। परन्तु बंगाल में दुर्गा पूजा का अति विशिष्ट महत्व है।
श्रद्धालु पूरी निष्ठा से नवरात्र का व्रत रखते हैं। नवमी के दिन कन्या पूजन और विजयादशमी तिथि को रावण दहन के रूप में मनाते हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि नौ दिनों के बजाय 10 दिन की होगी वहीं विजयदशमी का पर्व 11वें दिन मनाई जाएगी। शारदीय नवरात्र शक्ति उपासना का प्रमुख पर्व माना जाता है। सनातन ग्रंथों की माने तो शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना कर श्रद्धालु सभी प्रकार के मनोवांछित फल को पा सकते हैं। इस बार मां दुर्गा का धरती पर आगमन हाथी से हो रहा है जो सुख व समृद्धि का प्रतीक है।
10 दिनों की होगी नवरात्रि
पंडित विवेकानंद पांडेय ने बताया कि शारदीय नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि सोमवार से हो रही है। वहीं 1 अक्टूबर बुधवार को महा नवमी के दिन नवरात्रि की समाप्ति मानी जाएगी। 2 अक्टूबर गुरुवार को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन रावण का पुतला दहन की परंपरा है। इस वर्ष श्राद्ध पक्ष में एक तिथि का लोप हो रहा है वहीं नवरात्रि में चतुर्थी तिथि 2 दिन भोग कर रहा है जिससे नवरात्रि 9 दिन के बजाय 10 दिन की होगी। नवरात्रि में तिथि की वृद्धि अति शुभ दायक मानी जाती है। माता का आगमन भी शुभ कारक हो रहा है।
अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना श्रेयस्कर
आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर सोमवार को नवदुर्गा की पूजा के लिए कलश स्थापना की जाएगी। पंडित दिनेश पांडेय ,पंडित विश्वनाथ तिवारी, पंडित ध्रुप पाठक ने बताया कि शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। इस वर्ष सुबह से शाम तक पूरे दिन कलश स्थापना का मुहूर्त है लेकिन अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना को श्रेयस्कर माना गया है। सोमवार को दिन 11:20 बजे तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र व यायीयोग समाप्त हो रहा है। उसके बाद हस्त नक्षत्र का आगमन हो रहा है तथा 12:09 बजे तक अभिजीत मुहूर्त बताया गया है।
किस दिन किस स्वरूप की होगी पूजा
- 22 सितम्बर प्रतिपदा तिथि मां शैलपुत्री
- 23 सितंबर द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी
- 24 सितंबर तृतीया मां चन्द्रघंटा
- 25 सितंबर चतुर्थी
- 26 सितंबर चतुर्थी मां कुष्मांडा
- 27 सितंबर पंचमी मां स्कंदमाता
- 28 सितंबर षष्ठी मां कात्यायनी
- 29 सितंबर सप्तमी मां कालरात्रि
- 30 सितंबर अष्टमी मां महागौरी
- 01 सितंबर नवमी मां सिद्धिदात्री
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