Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    शाहपुर में हर बार बदल जाती है सियासत की चाल, जनता देती है सिर्फ दो मौके

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 03:28 PM (IST)

    शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में जनता हर बार सियासत की चाल बदल देती है। पिछले साढ़े तीन दशकों में यहाँ जो भी विधायक बना, वह लगातार दूसरा कार्यकाल तो पूरा किया, पर हैट्रिक लगाने से वंचित रहा। पंडित रामानंद तिवारी एकमात्र ऐसे विधायक थे जिन्होंने लगातार तीन बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 1990 के बाद यहाँ कोई भी विधायक हैट्रिक नहीं लगा पाया।

    Hero Image

    शाहपुर में हर बार बदल जाती है सियासत की चाल

    दिलीप ओझा ,शाहपुर(आरा)। ये पब्लिक है सब जानती है, ये पब्लिक है। अंदर क्या है बाहर क्या है! ये सब जानती है ये जो पब्लिक है। यह गीत शाहपुर विधायक चुनाव के इतिहास पर सटीक बैठती है। शाहपुर विधानसभा क्षेत्र जहां पिछले साढ़े तीन दशक के दौरान जो भी विधायक बने। उन्होंने लगातार दूसरा टर्म भी पूरा किया। लेकिन हैट्रिक लगाने से वंचित रहे। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विधानसभा चुनाव में एकमात्र पंडित रामानंद तिवारी हैट्रिक लगाने वाले पहले विधायक रहे। जिन्होंने वर्ष 1952 से लेकर 1972 तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन इसके बाद 1972 से लेकर 1990 तक जो भी विधायक बने। उन्होंने मात्र एक बार विधायक रहकर कार्य किया। जिसमें स्वतंत्रता सेनानी पंडित सूर्यनाथ चौबे, प्रोफेसर जगनारायण मिश्रा, आनंदी प्रसाद शर्मा तथा पंडित बिंदेश्वरी दुबे शामिल है। 

    पंडित बिंदेश्वरी दुबे सीएम बने

    पंडित बिंदेश्वरी दुबे 1985 में विधानसभा चुनाव जीत कर एकीकृत बिहार के मुख्यमंत्री बने। वही लगातार दो बार जीतने वाले विधायकों में मात्र शिवानंद तिवारी ही रहे जो मंत्री पद पाने में सफल रहे। वर्ष 1990 के बाद शाहपुर विधानसभा में जो विधायक बने है। सभी ने दो बार चुनाव जीता है। 

    1990 से 2000 तक स्व.धर्मपाल सिंह, 2001 से 2005 शिवानंद तिवारी, 2005 का मध्यावधि चुनाव शिवानंद तिवारी, 2005 से 2015 तक मुन्नी देवी और 2015 से 2005 तक राहुल तिवारी। लेकिन किसी ने हैट्रिक लगाने में सफलता नहीं पाई। 1990 के बाद शाहपुर विधानसभा में जो विधायक बने है। सभी ने दो बार चुनाव जीता है। 1

    990 से 2000 तक स्व.धर्मपाल सिंह, 2001 से 2005 शिवानंद तिवारी, 2005 का मध्यावधि चुनाव शिवानंद तिवारी, 2005 से 2015 तक मुन्नी देवी और 2015 से 2005 तक राहुल तिवारी। लेकिन किसी ने हैट्रिक लगाने में सफलता नही पाई।