भाव खा रहे अंग्रेजों के जमाने के सिक्के, राजा-रानी के दाम जानकर उड़ जाएंगे होश
आजकल पुराने सिक्कों की मांग बहुत बढ़ गई है, खासकर अंग्रेजों के जमाने के सिक्के। इन दुर्लभ सिक्कों पर राजा-रानी की तस्वीरें बनी होती हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इनकी नीलामी हो रही है, और कुछ सिक्के तो लाखों रुपये में बिक रहे हैं। जानकारों का कहना है कि भविष्य में इनकी कीमत और भी बढ़ सकती है।

ब्रिटिश राज के राजा का रेट चौबीस सौ तो महारानी पच्चीस सौ रुपये। फोटो जागरण
दिलीप ओझा, शाहपुर(आरा)। भोजपुरी में एक कहावत है अंग्रेज तो चले गए, लेकिन अपनी छाप छोड़ गए। यह कहावत फिलहाल धनतेरस व दीपावली के अवसर लोगो द्वारा चांदी के वैसे सिक्को का डिमांड किया जा रहा है, जिसपर अंग्रेज राजा व रानी की तस्वीर है। धनतेरस पर बाजार में अंग्रेजों के जमाने के राजा व महारानी के तस्वीर वाली सिक्के भाव खा रहे हैं।
धनतेरस पर राजा चौबीस सौ में तो महारानी की कीमत पच्चीस सौ रही, यानी पिछले साल की तुलना करीब ढाई गुना अधिक। धनतेरस के अवसर पर आमतौर पर सोना एवं चांदी सहित अन्य धातुओं को खरीदना शुभ माना जाता है।
लेकिन, लोगों में चांदी के सिक्के की खरीदारी का क्रेज अलग ही रहता है। पुराने चांदी के सिक्के जो अंग्रेजों के द्वारा ढाले गए थे उन सिक्को की कीमत अन्य सिक्कों से ज्यादा होती है। साथ ही मार्केट में उसकी डिमांड भी रहता है।
इन सिक्को के कारोबारी बताते हैं कि विक्टोरिया महारानी की तस्वीर वाली चांदी के सिक्के की रेट जार्ज किंग अर्थात राजा वाले तस्वीर के सिक्के का रेट अधिक होता है। इस बार राजा के सिक्के का रेट चौबीस सौ रहा तो महारानी का रेट पच्चीस सौ का रहा।
1900 से 1947 तक यही चांदी के सिक्के थे। यही सिक्के बाजार में सबसे ज्यादा चलन में भी है। वहीं, वर्ष 1800 से 1885 के बीच के सिक्कों का रेट अधिक है। इनका रेट वर्तमान बाजार में साढ़े तीन हजार रुपये के आसपास है और मार्केट में कम ही मिलता है।
इन सिक्कों पर महारानी की तस्वीर में सिर पर चोटी जैसा आकर है। इसे लोग चोटी वाली विक्टोरिया महारानी के चांदी का सिक्का भी कहते हैं। शाहपुर के स्वर्ण व्यवसायी जितेंद्र कुमार बताते हैं कि फिलहाल बाजार में वर्ष 1900 के बाद वाले सिक्के की मांग अधिक है। क्योंकि, इससे पुराने सिक्को का रेट अधिक हो जाता है।

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