Bihar Electon: भोजपुर में टिकट पर टिका है दो धरंधरों का राजनीतिक भविष्य, इस चुनाव में क्या हैं चुनौतियां?
चुनाव की घोषणा के बाद भोजपुर में टिकट के दावेदारों का ध्यान पटना और दिल्ली पर है। राघवेंद्र प्रताप सिंह और अमरेंद्र प्रताप सिंह का राजनीतिक भविष्य टिकट वितरण पर निर्भर है। अमरेंद्र प्रताप दो दशकों से भाजपा के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं वहीं राघवेंद्र प्रताप ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया है। उम्र के कारण दोनों के लिए इस बार का टिकट अहम है।

कंचन किशोर, आरा। चुनाव की घोषणा हो चुकी है और टिकट की चाहत रखने वालों के लिए एक पांव पटना तो दूसरा पांव दिल्ली में है। भोजपुर के सात विधानसभा क्षेत्र में मतदान पहले चरण में छह नवंबर को है और 10 अक्टूबर से नामांकन शुरू होगा।
इसको लेकर अब सारा ध्यान उम्मीदवारों की घोषणा पर है। भोजपुर से राजनीति शुरू करने वाले सियासत के दो धुरंधर राघवेंद्र प्रताप सिंह और अमरेंद्र प्रताप सिंह का राजनीतिक भविष्य इस बार टिकट के वितरण पर टिका है।
अमरेंद्र प्रताप आरा सदर से भाजपा के विधायक हैं, तो राघवेंद्र प्रताव ने 2020 के चुनाव में बड़हरा से भाजपा की नैया को पार लगाया था। अब दोनों उम्र के इस पड़ाव पर हैं कि इस बार का चुनाव उनके राजनीतिक जीवन में निर्णायक साबित हो सकता है।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्व.सरदार हरिहर सिंह के परिवार से आने वाले अमरेंद्र प्रताप सिंह आरा में भाजपा के लिए दो दशकों से खेवनहार रहे हैं। यह भी कह सकते हैं कि आरा में भाजपा का भाग्य उन्होंने ने ही खोला। वर्ष 2000 से अबतक छह बार विधानसभा चुनाव हुए और हर बार वे यहां से पार्टी के उम्मीदवार बने।
इनमें केवल एक बार 2015 के विधानसभा चुनाव में सात सौ से भी कम मतों के मामूली अंतर से वे चुनाव हारे। ऐसे में उनका स्ट्राइक रेट बढ़िया रहा, लेकिन भाजपा में उम्र को लेकर जो परिपाटी बनी है, उसमें उनका पेंच फंस सकता है। 2020 के चुनाव में उन्होंने जो हलफनामा दिया है, उसके मुताबिक उस समय वे 73 वर्ष के थे।
पांच साल बाद अब वे 78 साल के हो चुके हैं। दूसरी ओर राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बड़हरा विधानसभा क्षेत्र में अपने पिता अंबिका शरण सिंह की विरासत को आगे बढ़ाया है। स्व.अंबिका बाबू यहां से पांच बार विधायक रहे और राघवेंद्र प्रताप सिंह अबतक छह बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
वे भाजपा से पहले क्षेत्र से जनता दल और राजद के टिकट पर चुनाव जीते थे। 2020 में पहली बार उन्होंने भाजपा का दामन थामा और बड़हरा में पहली बार कमल खिला। पांच साल पहले हुए चुनाव में उनके द्वारा दिए गए हलफनामा के अनुसार वे 67 वर्ष के थे और अब वे 72 के हो चुके हैं।
ऐसे में इस बार का टिकट वितरण उनके राजनीतिक जीवन के लिए सबसे अहम है। हालांकि, सियासत में धुरंधर माने जाने वाले राघवेंद्र प्रताप अभी भी टिकट के प्रबल दावेदार हैं, लेकिन पार्टी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
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