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    बिहार चुनाव में पीडीएस डीलर बनेंगे किंगमेकर? समर्थन या नाराजगी.. दोनों ही चुनावी नतीजों पर डाल सकता है बड़ा असर

    बिहार विधानसभा चुनाव में भोजपुर जिले के पीडीएस डीलर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। 1600 से अधिक डीलर हर परिवार से जुड़े हैं जिससे उनका समर्थन चुनावी नतीजों पर असर डाल सकता है। कमीशन मानदेय और पारदर्शिता की मांगों को लेकर असंतुष्ट डीलर वोट के माध्यम से अपनी नाराजगी जताने की तैयारी में हैं।

    By Ritesh Chaurasia Edited By: Piyush Pandey Updated: Sat, 23 Aug 2025 02:51 PM (IST)
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    चुनावी समीकरण बिगाड़ सकते हैं पीडीएस डीलर। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, आरा। बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच अब जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) के डीलर सत्ता के समीकरण बिगाड़ने वाले नए फैक्टर के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं।

    भोजपुर जिले में ही 1600 से अधिक पीडीएस डीलर कार्यरत हैं, जिनका सीधा जुड़ाव हर घर-परिवार से है। यही वजह है कि उनका समर्थन या नाराजगी, दोनों ही परिस्थितियों में चुनावी नतीजों पर बड़ा असर डाल सकते हैं।

    पीडीएस डीलर वर्षों से कमीशन बढ़ाने, मानदेय देने और पारदर्शी नीति लागू करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। कई बार आयोग, जिला प्रशासन और सचिवालय तक अपनी आवाज बुलंद करने के बावजूद अब तक ठोस घोषणा न होने से असंतोष गहराता जा रहा है।

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    जानकारों की मानें तो यदि डीलरों की नाराजगी दूर नहीं की गई तो सरकार को इसका खामियाजा चुनावी नतीजों में भुगतना पड़ सकता है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि डीलर समाज के ऐसे वर्ग से आते हैं जिनकी पहुंच गांव से लेकर शहर तक हर घर तक होती है। राशन वितरण के बहाने वे सीधे जनता से जुड़े रहते हैं। अनुमान है कि यदि हर डीलर सिर्फ 10–10 वोटों को प्रभावित करता है, तो करीब 5.10 लाख वोटों का सीधा असर चुनावी समीकरण पर पड़ सकता है।

    यह आंकड़ा कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का अंतर तय करने के लिए पर्याप्त है। भोजपुर जिले के डीलर रामानुज सिंह, बीरेंद्र सिंह, संजीत सिंह और बबिता कुमारी का कहना है कि सरकार ने समय-समय पर वादे तो किए, लेकिन धरातल पर कोई ठोस पहल नहीं हुई। यही कारण है कि इस बार डीलर वर्ग वोट के जरिये अपनी नाराजगी जताने की तैयारी में है।

    कहते हैं जिलाध्यक्ष

    भोजपुर जिले के डीलर संघ के अध्यक्ष नंद कुमार ओझा का कहना है कि सरकार के पास अभी भी वक्त है। यदि चुनाव से पूर्व पीडीएस डीलरों से जुड़े मुद्दों पर ठोस घोषणा कर दी जाती है, तो असंतोष काफी हद तक शांत हो सकता है। अन्यथा यह असंतोष विपक्ष के लिए अवसर और सत्तापक्ष के लिए संकट बनना तय है।