शाहाबाद में दिखेगा पवन सिंह का सियासी ‘पावर’, कुशवाहा के साथ मिलकर बदलेंगे चुनावी रंग
आरा से पिछले लोकसभा चुनाव में पवन सिंह ने काराकाट सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर 2 लाख 74 हजार से ज्यादा वोट पाकर एनडीए को नुकसान पहुंचाया था। अब पवन सिंह उपेन्द्र कुशवाहा के साथ हैं जिससे राजग को शाहाबाद में मजबूती मिलने की उम्मीद है। राजपूत और कुशवाहा वोटरों की एकजुटता एनडीए के लिए महत्वपूर्ण होगी।

कंचन किशोर, आरा। पिछले साल फिल्म ''स्त्री-2'' आई थी। अमूमन फिल्म का क्लामेक्स खत्म होने के बाद जब क्रेडिट लाइन स्क्रीन पर रोल होता है, तब दर्शक कुर्सी छोड़ उठने लगते हैं, लेकिन इस फिल्म में दर्शक केवल पवन सिंह का गाना (झूठी खाई थी कसम जो निभाई नहीं...) सुनने के लिए आखिर तक कुर्सी से डटे रहे।
यह पावर स्टार का जलवा था और अपनी यह लोकप्रियता राजनीति में भी साबित की, जब पिछले साल लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपने दम पर दो लाख 74 हजार से ज्यादा वोट ले आए। उनकी चुनावी मुहिम से शाहाबाद में एनडीए को बड़ा झटका लगा और चारों सीट गंवाना पड़ा।
एनडीए में पावर स्टार का जलवा
अब स्थिति बदल चुकी है और पावर स्टार उपेन्द्र कुशवाहा से गले मिल रहे हैं। पर्दे के पीछे बहुत कुछ पक रहा है, लेकिन इतना तय है कि राजग पावर स्टार को उनके कद के अनुसार महत्व दे रहा है और उनकी लोकप्रियता के सहारे शाहाबाद की हवा इस बार पक्ष में होने की उम्मीद कर रहा है।
दरअसल, शाहाबाद का क्षेत्र समीकरण में अपेक्षाकृत सकारात्मक होते हुए भी एनडीए के लिए चुनौतियों से भरा रहा है। खास तौर पर 2020 के चुनाव के बाद यहां एनडीए का समीकरण तराजू के उसे पल्ले की तरह है, जिसमें एक को बिठाया जाता है तो दूसरा बिदाक कर उतर जाता है।
पवन सिंह ने फंसाया मामला
पिछले विधानसभा आम चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी के अलग राह पकड़ने से एनडीए को झटका लगा। पिछले साल लोकसभा चुनाव में सब साथ थे, तो पवन सिंह का फैक्टर में समीकरण उलझ कर रह गया। शाहाबाद के चारों जिले में सासाराम की सातों सीट, बक्सर की चारों सीट और भभुआ की चारों सीटों पर एनडीए का खाता नहीं खुला।
भोजपुर की 5 सीटों पर एनडीए की हार
भोजपुर में भी सात में से पांच सीटों पर भाजपा-जदयू को हार मिली। मामूली वोटो के अंतर से आरा सदर और बड़हरा विधानसभा क्षेत्र में एनडीए को जीत मिली। चारों जिलों में राजपूत और कुशवाहा वोटरों की अच्छी संख्या में है। दोनों एकजुट होकर वोट देते हैं तो यह निर्णायक साबित हो सकता है।
हाल में एनडीए के बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा के साथ पवन सिंह की गलबहियां डाले तस्वीर का वायरल होना चर्चा में है। भाजपा के नेता इसे समीकरण की एकजुट के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।
हाल में पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने आरा से अपनी हार के कारणों का जिक्र करते हुए सार्वजनिक रूप से जातीय बयान दिए। इसके बाद पावर स्टार और उपेंद्र कुशवाहा के मिलन की तस्वीर एनडीए की सेहत के लिए और भी जरूरी और प्रासंगिक हो गई है।
कहा जा रहा है कि पवन सिंह को साधने की स्क्रिप्ट शीर्ष स्तर पर लिखी गई है और शाहाबाद में उनकी भूमिका इस चुनाव में महत्वपूर्ण रहेगी। भाजपा के एक नेता बताते हैं कि उनकी भूमिका किसी सीट से केवल चुनाव लड़ने तक सीमित नहीं है बल्कि समीकरण को एकजुट करने में भी उनकी बड़ी भूमिका रहेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।