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    ना दिव्यांग ना वृद्धावस्था पेंशन...ना ही आवास योजना का लाभ; इन तक आते-आते सूख जाती है सरकारी संवेदना की नदी

    Bhojpur News भोजपुर जिले के नव गठित नगर पंचायत गड़हनी वार्ड एक निवासी राम आशीष सिंह (67) की पत्नी बुधिया देवी (67) और उनके पुत्र डिगरी कुमार (32) जन्म से ही पूर्णत दिव्‍यांग हैं। इसके बावजूद न तो इन्हें दिव्‍यांग पेंशन का लाभ मिला ना ही आवास योजना का।

    By Arun Kumar SinghEdited By: Prateek JainUpdated: Mon, 20 Feb 2023 04:02 PM (IST)
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    गड़हनी में दिव्‍यांग मां व दिव्‍यांग बेटा

    गड़हनी, अरुण कुमार सिंह: आजाद भारत के 75 वर्ष बाद भी 67 वर्षीय पूर्ण दिव्‍यांग बुधिया देवी व उनके पुत्र डिग्री कुमार को सरकार की दिव्‍यांग पेंशन, आवास योजना सहित अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिलना न सिर्फ जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है, बल्कि सरकार के सिस्टम पर उंगली भी खड़ी करता है।

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    भोजपुर जिले के नव गठित नगर पंचायत गड़हनी वार्ड एक निवासी राम आशीष सिंह (67) की पत्नी बुधिया देवी (67) और उनके पुत्र डिगरी कुमार (32) जन्म से ही पूर्णत: दिव्‍यांग हैं। इसके बावजूद न तो इन्हें दिव्‍यांग पेंशन का लाभ मिला, ना ही आवास योजना का।

    राम आशीष को भी नहीं मिलती है वृद्धावस्‍था पेंशन

    बताया जाता है कि बीपीएल सूची, आवास योजना में नाम होने के बावजूद सरकारी सिस्टम की मनमानी ने बुधिया देवी के पक्के मकान के सपने को चकनाचूर कर दिया। मां-बेटे पूर्ण रूप से दिव्‍यांग हैं।

    घर में कमाने वाले बुधिया देवी के पति राम आशीष सिंह खेती-किसानी व दूध बेचकर परिवार का पालन पोषण करते हैं। राम आशीष सिंह को भी वृद्धावस्‍था पेंशन का लाभ नहीं मिलता है।

    रास्‍ता नहीं होने के कारण आवाजाही में परेशानी

    पूछने पर राम आशीष सिंह ने बताया, साहब हम अनपढ़ आदमी हैं। हमको कहां कुछ समझ में आता है। वोट हर बार देते हैं। चुनाव जीतने के बाद नेता लोग भूल जाते हैं। गांव में रास्ता नहीं है। इस वजह से यहां गाड़ी भी नहीं आती है। कैसे दिव्‍यांग पत्नी और पुत्र को ब्लाक ले जाऊं?

    नये वार्ड पार्षद से परिवार को उम्‍मीदें

    वहीं, बुधिया देवी ने बताया कि नगर पंचायत गड़हनी वार्ड एक के नये वार्ड पार्षद आरती कुमारी और सामाजिक कार्यकर्ता अविनाश कुमार राव से बहुत उमीदें हैं।

    चुनाव जीतने के बाद अविनाश जरूरी कागजात ले गए हैं। अब देखना है कि सरकारी लाभ मिलता है या फिर चुनावी जुमला साबित होता है।

    बीडीओ का यह कहना

    इस संबंध में स्थानीय बीडीओ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि इस मामले में मुझे कोई लिखित आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। आवेदन मिलने के बाद विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।

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