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    सफेद रेत-सर्द हवाएं और गंगा की लहरें, बिहार का 'जुहू' कर रहा नव वर्ष का इंतजार

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 10:59 AM (IST)

    साल 2025 विदा होने को है और नववर्ष 2026 की आहट दस्तक देने लगी है। बड़हरा प्रखंड के महुली गंगा घाट का जुहू जैसा दृश्य है। महुली गंगा घाट पर बिहार का पह ...और पढ़ें

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    महुली घाट का नजारा। (जागरण)

    राकेश कुमार तिवारी, बड़हरा (आरा)। साल 2025 विदा होने को है और नववर्ष 2026 की आहट दस्तक देने लगी है। नए साल का स्वागत हर कोई खास अंदाज में करना चाहता है।

    परिवार और दोस्तों के साथ घूमने-फिरने और खुशियां बांटने का यह सुनहरा मौका होता है। लोग अक्सर हिल स्टेशन और समुद्री तटों का रुख करते हैं, पर अपने ही जिले में एक ऐसा सुरम्य स्थल मौजूद है, जहां का प्राकृतिक सौंदर्य किसी समुद्र तट से कम नहीं लगता है।

    बड़हरा प्रखंड के महुली गंगा घाट का जुहू जैसा दृश्य है। महुली गंगा घाट की सुबह और दोपहर किसी फिल्मी दृश्य जैसी लगती हैं, पेड़ पौधे का मनोरम दृश्य, खुला आसमान, नीचे सफेद रेत की मोटी परत, गंगा की कल-कल धारा, और सर्द हवाओं के बीच हल्की सुहानी धूप।

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    यह नजारा दूर-दराज के पर्यटकों को भी अपनी ओर खींचने की क्षमता रखता है। हर साल क्रिसमस और नववर्ष पर यहां हजारों लोगों की भीड़ जुटती है। जनवरी का अंतिम सप्ताह पिकनिक का मौसम माना जाता है, और परिवार या दोस्तों के साथ लोग ऐसे शांत और मनोरम स्थलों की तलाश में रहते हैं।

    महुली गंगा घाट इस चाहत को पूरा करता है, प्रकृति, रोमांच और धार्मिक आस्था तीनों का संगम यहां मिलता है। महुली गंगा घाट पर बिहार का पहला सरफेस वाटर सप्लाई सेंटर स्थित है, जिसका अद्भुत दृश्य और विशाल संरचना आने वाले लोगों को आकर्षित करती है।

    सफेद रेत और नीली धारा के साथ इसकी झलक किसी पर्यटन स्थल जैसी अनुभूति कराती है। यहीं स्थित है महान तपस्विनी माता सती कुंवारी मनोरथा दासी की तपोस्थली, जहां लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शांति का यह मेल पर्यटकों को लंबे समय तक बांधे रखता है।

    जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली- नौका विहार और पीपा पुल से पहुंचें

    महुली गंगा घाट से मात्र दस किलोमीटर दूरी पर है, लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली जयप्रकाश नगर है। यहां स्थित संग्रहालय, पुस्तकालय और क्रांतिकारियों से जुड़े अद्भुत दृश्य इतिहास प्रेमियों के लिए खास आकर्षण हैं। पर्यटक गंगा में नौका विहार और पिपा पुल के रास्ते भी यहां पहुंचते हैं, जो नए साल की यात्रा को और रोमांचक बना देता है।

    आसपास के प्रमुख धार्मिक स्थल कम दूरी पर है स्थित 

    श्रीरंगनाथ जी मंदिर, गुंडी बारह किलोमीटर दूर पर है। दक्षिण भारतीय शैली में बना यह मंदिर कला और आस्था का सुंदर उदाहरण है। इसके बाद भव्य मां काली मंदिर, बखोरापुर 15 किलोमीटर पर है। यहां नए साल पर पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

    इसके बाद छपरा जिला के आमी धाम तीस किलोमीटर दूरी पर है। प्राचीन और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल, जहां वर्ष के पहले दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। गोपालगंज जिला के थावे माता मंदिर साठ किलोमीटर पर है। यह बिहार का एक प्रमुख शक्ति स्थल, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।

    नए साल पर महुली घाट-हजारों लोगों का जमघट

    हर वर्ष की तरह इस बार भी महुली घाट पर नववर्ष के मौके पर लोगों की भारी भीड़ जुटने की संभावना है। सफेद रेत, गंगा का शांत बहाव, धार्मिक स्थल और खुला प्राकृतिक वातावरण इसे जिले का सबसे लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट बनाता हैं।