Lumpy Virus: लंपी वायरस ने बढ़ाई पशुपालकों की परेशानी, सरकारी टीकाकरण के नाम पर खानापूर्ति का आरोप
भोजपुर के चरपोखरी प्रखंड में लंपी रोग से पशुपालक परेशान हैं। टीकाकरण में लापरवाही के आरोपों के बीच कई पशुओं की मौत हो चुकी है। पशुपालक घरेलू उपचार और होम्योपैथिक दवाओं का सहारा ले रहे हैं लेकिन स्थिति गंभीर बनी हुई है। किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
संवाद सूत्र,चरपोखरी (आरा)। प्रखंड में इन दिनों लंपी बीमारी ने पशुपालकों की नींद उड़ा दी है। प्रखंड के कई गांवों में यह बीमारी तेजी से फैल रही है, जिससे कई पशुओं की मौत हो चुकी है।
पशुपालकों का कहना है कि सरकारी स्तर पर टीकाकरण में लापरवाही बरती गई है, जिसकी वजह से हालात इतने खराब हो गए हैं। पशुपालक बराढ़ निवासी अभिषेक तिवारी ने कहा कि पशुओं की स्थिति यह है कि पशु इस बीमारी से ग्रषित होकर खाना पीना छोड़ रहे है। इस बीमारी के कारण पशुओं का शरीर के पूरे हिस्से में जख्म जैसा निशान, शरीर का तापमान बढ़ना, पैर में सूजन आदि हो रहा है।
इधर इस बीमारी के सामने पशुपालक लाचार बने हुए है। वे इस बीमारी से निपटने के लिए घरेलू उपचार के साथ-साथ होम्योपैथिक दवाओं का सहारा ले रहे है। लेकिन इससे कुछ सुधार की संभावना नहीं बन पा रही है। ऐसे में पशुपालक काफी चिंतित हैं।
चरपोखरी के कोरी गांव निवासी राजेंद्र साह की एक गाय की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। वहीं, कोयल पंचायत के पूर्व पैक्स अध्यक्ष कमलेश मिश्रा का बछड़ा भी इस बीमारी से बुरी तरह ग्रसित है। इस बीमारी ने इलाके के लगभग सभी गाय, भैंस और अन्य पालतू पशुओं को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे वे कमजोर होते जा रहे हैं।
पशुपालकों का कहना है कि अगर सरकार ने समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया, तो कई किसान अपने पशुओं से हाथ धो बैठेंगे। कुम्हैला के भरत साह, शिवनारायण साह, बराढ़ के श्रीहरी पासवान और ढेढ़ा के जरबन सिंह जैसे कई पशुपालकों ने बताया कि उनके पशुओं की हालत बेहद खराब है। उन्होंने सरकार से इस बीमारी को रोकने के लिए एक बड़ा अभियान चलाने की मांग की है।
टीकाकरण पर उठे सवाल, कागजी खानापूर्ति का आरोप
इस बीमारी के विकराल रूप धारण करने के पीछे पशुपालकों ने टीकाकरण में लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। बराढ़ निवासी राजू कुमार ने बताया कि इस साल जुलाई में लंपी बीमारी का टीकाकरण कराया गया था, लेकिन यह काम सिर्फ कागजी खानापूर्ति बनकर रह गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि जमीनी स्तर पर सही से काम नहीं हुआ, जिसकी वजह से आज हर गांव में यह बीमारी पैर पसार रही है। पशुपालकों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि इस बीमारी से कैसे छुटकारा पाया जाए।
टीकाकरण में किसी भी तरह की लापरवाही बरती गई है और इसकी लिखित शिकायत आती है, तो मामले की जांच कराई जाएगी। - दिनकर कुमार, जिला पशुपालन पदाधिकारी, आरा
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