फौजी को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई
उत्तराखंड के हरिद्वार में मरे भोजपुर जिला निवासी फौजी अभिनंदन उपाध्याय का शव सोमवार को तीसरे दिन पैतृक गांव बड़हरा के महुदही गांव लाया गया।
आरा। उत्तराखंड के हरिद्वार में मरे भोजपुर जिला निवासी फौजी अभिनंदन उपाध्याय का शव सोमवार को तीसरे दिन पैतृक गांव बड़हरा के महुदही गांव लाया गया। साथी जवान विशेष वाहन से अभिनंदन के शव को सम्मान के साथ गांव लाए थे। इस दौरान गांव के ग्रामीणों ने अपने सपूत को नम आंखों से अंतिम विदाई दी। बड़हरा के महुली गंगा घाट पर मृत फौजी को उसके छोटे भाई विशाल कुमार ने मुखाग्नि दी। इस दौरान गंगा घाट पर आर्मी के जवानों ने भी साथी को अपने अंतिम सलामी दिया। शाम करीब चार बजे लायंस नायक अजय कुमार व हवलदार विजय यादव समेत करीब आठ जवान मृत फौजी के शव को लेकर सड़क मार्ग के रास्ते महुदही गांव पहुंचे। गांव के ग्रामीण सुबह से ही शव आने की प्रतिक्षा कर रहे थे। शव आने के साथ ही माहौल गमगीन हो गया। अपने सपूत की एक झलक पाने के लिए गांव के ग्रामीण उमड़ पड़े। इस दौरान बड़हरा थानाध्यक्ष अवध किशोर समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। बताया जाता हैं कि आर्मी में कार्यरत सिपाही शीलानाथ उपाध्याय उर्फ अभिनंदन उपाध्याय को घर आने के लिए छुट्टी मिल गई थी। 15 फरवरी की शाम को आर्मी कैंटीन से सामान लेकर बाइक से आवास जा रहे थे। इस दौरान टैंकर से टक्कर होने के कारण बाइक सवार फौजी की मौत हो गई थी। बाद में घर के सदस्यों को सूचना मिली थी।
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बेटे के शव को देखकर फफक पड़ी मां
सोमवार को जब जवान अभिनंदन का शव तिरंगे में लिपटे हालत में पैतृक गांव पहुंचा था। इस दौरान बेटे के शव को देख कर मां सुनीता देवी फफक पड़ी। पिता के आंखों से भी आंसू नहीं थम पा रहे थे। छोटे भाई समेत दोस्तों का रो-रोकर बुरा हाल था। बताया जाता हैं कि महुदही गांव निवासी अयोध्या नाथ उपाध्याय को कुल दो पुत्र थे। जिसमें अभिनंदन उपाध्याय उर्फ शीलानाथ उपाध्याय बड़े थे। वर्ष 2009 में आर्मी में बहाल हुए थे।
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जिस घर से दूल्हा बनकर निकलने वाला था अभिनंदन, वहां से निकली अर्थी
बताया जाता हैं कि बड़हरा के महुदही गांव निवासी अभिनंदन उपाध्याय 25 फरवरी को जिस घर से माथे पर सेहरा बांधकर दुल्हन लेने जाने वाला था उस घर से जब सोमवार को अर्थी निकली तो सभी के आंखों से आंसू छलक पड़े। जानकारी के अनुसार महुदही गांव निवासी अभिनंदन की शादी शाहपुर के ओझवलिया गांव में तय हुई थी। इसी महीने 19 फरवरी को तिलक और 25 फरवरी को शादी की तिथि पूर्व से निर्धारित थी। परिवार के सदस्य शादी को लेकर कपड़ा और गहने की खरीददारी में लगे हुए थे। इस बीच शनिवार की देर शाम हादसे में मौत की खबर मिलते ही घर से लेकर सगे-संबंधियों के यहां कोहराम मच गया था। छोटा पुत्र विशाल बुजुर्ग दंपती का सहारा बच गया है। बड़े बेटे के वियोग में मां सुनीता देवी का रो-रोकर बुरा हाल था।
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