'हनीमून पोस्टिग' के लिए विख्यात है कोईलवर का मानसिक रोग अस्पताल
सूबे का इकलौता मानसिक आरोग्यशाला बिहार राज्य मानसिक स्वास्थ्य एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान कोईलवर स्थापना के डेढ़ दशक बाद भी व्यवस्था के मामले में उधार व प्रभार के आधार पर ही चल रहा है। मरीज तो यहां बहुत आते हैं लेकिन इलाज के नाम पर ढांचागत व्यवस्था कुछ भी नहीं है। चिकित्सकों को भी यहां कोई पूछने वाला नहीं है और मनमर्जी से ड्यूटी होती है। विभाग में इसी वजह से यहां की पोस्टिग को हनीमून पोस्टिग मानी जाती है।

कोईलवर (भोजपुर)। सूबे का इकलौता मानसिक आरोग्यशाला बिहार राज्य मानसिक स्वास्थ्य एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान कोईलवर स्थापना के डेढ़ दशक बाद भी व्यवस्था के मामले में उधार व प्रभार के आधार पर ही चल रहा है। मरीज तो यहां बहुत आते हैं, लेकिन इलाज के नाम पर ढांचागत व्यवस्था कुछ भी नहीं है। चिकित्सकों को भी यहां कोई पूछने वाला नहीं है और मनमर्जी से ड्यूटी होती है। विभाग में इसी वजह से यहां की पोस्टिग को हनीमून पोस्टिग मानी जाती है।
कहने को तो यहां निदेशक व अधीक्षक समेत कुल दस चिकित्सक हैं, लेकिन अधिकतर मानसिक रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। अस्पताल परिसर में कहीं इनके नेमप्लेट या नामों की सूची व फोन नंबर नहीं लगाई गई है। कार्यालय में स्वास्थ्य प्रबंधक व हेड क्लर्क समेत चार कार्यालय कर्मी हैं। इनमें भी तीन प्रभार पर पदस्थापित हैं। यहां कोई कार्यालय कर्मी किसी पदाधिकारी या चिकित्सक का फोन नंबर या कोई जानकारी भी देना नहीं चाहता है। कार्यालय कर्मी साफ कह देते हैं के हमलोग कोई जानकारी देने के लिये अधिकृत नहीं हैं। आरोग्यशाला के निदेशक पद पर स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख डा.वीर कुंवर सिंह हैं। अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि आरोग्यशाला संबंधित जरूरी फाइलों का निपटारा पटना मंगा कर ही करते हैं। वैसे इस काम को देखने के लिये यहां अपर निदेशक का पद सृजित किया गया है, इस पर डा.पूर्णिमा रतन पदस्थापित हैं। अधीक्षक के पद पर डा.जयस रंजन पदस्थापित हैं। शनिवार को ओपीडी में मरीजों को देख रहे डा.अमित कुमार ने बताया कि प्रतिदिन औसतन दो सौ रोगी यहां इलाज के लिये आते हैं। वहां मौजूद महिला रोगी की एक परिजन महिला पूनम देवी ने बताया कि लाने ले जाने में बहुत परेशानी व काफी ़खर्च है। दवाएं कुछ मिलती है और कुछ बाहर से खरीदनी पड़ती है। फिलहाल कुल 86 रोगियों में 53 पुरुष व 33 महिला यहां भर्ती हैं। फिलहाल इन सभी रोगियों को कार्यालय कक्ष से जुड़े विभिन्न कमरों को वार्ड के रूप में परिवर्तित कर रखा गया है। इनकी देख रेख के लिये 18 महिला वार्ड अटेंडेंट व पांच पुरुष वार्ड अटेंडेंट हैं। आउट सोर्सिंग पर 52 कर्मी रखे गए हैं। आरोग्यशाला के अधीक्षक जयस रंजन ने बातचीत में बताया कि अभी उन्होंने हाल में ही यहां का प्रभार लिया है, आरोग्यशाल की व्यवस्था में जो भी कमी है, इसी जून माह के अंत तक पूरी हो जाएगी।
डीएम ने किया मानसिक रोग अस्पताल का निरीक्षण
कोईलवर में निरीक्षण के क्रम में बुधवार को डीएम राजकुमार ने मानिसक आरोगयशाला में चल रहे भवन निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। उन्होंने निर्माण कंपनी बीएमआइसीएल और अस्पताल के अधिकारियों के साथ बात कर जून के अंत तक काम पूरा करने को कहा। यहां 272 बेड के अस्पताल का निर्माण हो रहा है। बीएमआइसीएल के डीजीएम पंकज कुमार तथा मैनेजर रीतेश कुमार ने बताया कि अस्पताल की इस परियोजना के अतिरिक्त आवासीय भवन आदि का भी निर्माण किया जा रहा है। चेन्नई के निर्माण कंपनी पीएसके के अधिकारी ने बताया कि 450 मजदूर व तकनीशियन इस निर्माण कार्य में लगे हैं। आ उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी तो उन्हें अधीक्षक पद का चार्ज दिया गया है। इसलिए उन्हें कुछ समय चाहिए। जिलाधिकारी के साथ एसडीएम ज्योति नाथ सहदेव तथा डीटीओ आदि थे।
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