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    Bihar News: इन एफिलेटेड कॉलजों पर शिक्षा विभाग की टेढ़ी नजर, कच्चा-चिट्ठा खंगालने में जुटे अधिकारी

    By Kanchan KishoreEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Mon, 16 Oct 2023 04:31 PM (IST)

    शिक्षा विभाग मानकों के विपरीत फर्जीवाड़ा करके स्थाई संबद्धता प्राप्त करने वाले कॉलेजों पर कार्रवाई करने के मूड में है। विभाग ने स्थाई संबद्धता वाले कॉलेजों को अबतक के सभी कागजात शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया है। पूर्व में जमा कागजात के मुताबिक संसाधन नहीं होने पर विभाग ऐसे कॉलेजों पर सख्त कार्रवाई कर सकता है।

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    मानकों के अनुरूप संसाधन नहीं होने पर कॉलेजों पर कार्रवाई करेगा विभाग।

    जागरण संवाददाता, आरा। शिक्षा विभाग मानकों के विपरीत फर्जीवाड़ा करके विश्वविद्यालय से कॉलेज की स्थाई संबद्धता प्राप्त करने वाले कॉलेजों पर कार्रवाई करने के मूड में है। शिक्षा विभाग स्थाई संबद्धता प्राप्त करने वाले कॉलेजों का कच्चा-चिट्ठा खंगालने में जुटा है।

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    विभाग ने स्थाई संबद्धता प्राप्त 33 अनुदान पाने वाले और 12 बिना अनुदान पाने वाले स्थाई संबद्ध कॉलेजों को कागजात उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इन कॉलेजों को शुरू से लेकर अबतक के सभी कागजात को शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपलोड करना है।

    मानक के अनुरूप नहीं हकीकत, तो होगी कार्रवाई

    आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई का उद्देश्य स्थाई संबद्धता प्राप्त कॉलेजों के मानकों की जांच करनी है।

    विभाग में पूर्व में जमा कागजात के मुताबिक कॉलेजों में संसाधन नहीं होने पर शिक्षा विभाग कड़ी कार्रवाई करने के मूड में है।

    सरकारी अनुदान पर मौज काट रहे कॉलेज

    बिहार के आधे से अधिक स्थाई स्थाई संबद्धता प्राप्त कॉलेजों की हकीकत यह है कि के पास संकायों के अनुरूप भवन और कमरे तक नहीं हैं। शिक्षा विभाग की टीम जब इन कॉलेजों पर जाती है, तो हालत देखकर भौचक हो जाती है।

    बावजूद ऐसे कॉलेजों को विश्वविद्यालय की अनुशंसा पर स्थाई संबद्धता मिली है। इन कॉलेजों में प्रत्येक साल एक हजार से तीन हजार तक विद्यार्थी पासआउट होते हैं और उनको अनुदान मिलता है।

    कागजों पर बने भवन पर मिली स्वीकृति 

    विश्वविद्यालय के अधिकांश संबद्धता की मांग करने वाले कॉलेज आधे-अधूरे तैयारी पर नामांकन की अनुमति की मांग करते रहे हैं। विश्वविद्यालय की अनुशंसा पर शिक्षा विभाग स्वीकृति प्रदान करता था।

    आलम था कि कई कॉलेजों के पास एक भवन में बीएड और डिग्री की मान्यता थी। अधिकांश में महिला शौचालय और पुस्तकालय तक नहीं है।

    बीते तीन महीने से सख्ती के बाद कई स्थाई संबद्ध कॉलेजों में आनन-फानन में भवनों का निर्माण कराया जा रहा है।

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