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    Ara News: फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहा शिक्षक गिरफ्तार, भोजपुर पुलिस का एक्शन

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 08:38 PM (IST)

    भोजपुर जिले के बिहिया थाना पुलिस ने सुरेश प्रसाद नामक एक शिक्षक को गिरफ्तार किया है जो पिछले दस सालों से फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी कर रहा था। निगरानी विभाग की जांच में पता चला कि सुरेश ने नौकरी ज्वाइन करने के समय जो सर्टिफिकेट और डॉक्यूमेंट्स दिए थे वे सभी फर्जी थे। पुलिस ने उसे बिहिया इलाके से गिरफ्तार किया।

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    भोजपुर में फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहा शिक्षक गिरफ्तार

    जागरण संवाददाता, आरा। भोजपुर जिले के बिहिया थाना पुलिस ने बुधवार को फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर पिछले दस सालों से शिक्षक की नौकरी कर रहे एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपित सुरेश प्रसाद बिहिया थाना क्षेत्र के चकरही गांव का निवासी है।

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    जानकारी के अनुसार, सुरेश प्रसाद ने करीब 10 वर्ष पूर्व महुआंव गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के पद पर योगदान दिया था। तब से वे वहां कार्यरत था और लंबे समय से बच्चों को पढ़ा भी रहा था।

    इस बीच निगरानी विभाग को शिकायत मिली कि उसके द्वारा प्रस्तुत किए गए शैक्षणिक प्रमाणपत्र और नियुक्ति के समय जमा किए गए दस्तावेज संदिग्ध हैं। शिकायत पर संज्ञान लेते हुए निगरानी विभाग की टीम महुआवँ गांव के विद्यालय पहुंची थी और शिक्षक के सभी प्रमाणपत्रों की जांच की थी।

    जांच के दौरान यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि सुरेश प्रसाद द्वारा नौकरी ज्वाइन करने के समय दिए गए सभी सर्टिफिकेट और डाक्यूमेंट्स फर्जी थे। इसके बाद निगरानी विभाग, पटना ने इस मामले को गंभीर मानते हुए 15 मई 2025 को बिहिया थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी होने के बाद से ही आरोपित विद्यालय छोड़कर फरार चल रहा था।

    पुलिस लगातार उसकी तलाश में जुटी हुई थी और अंततः बुधवार को बिहिया इलाके से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

    पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सुरेश प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद उससे पूछताछ की जा रही है कि उसने ये फर्जी प्रमाणपत्र कहां से और किसके माध्यम से बनवाए थे। साथ ही इस पूरे नेटवर्क की भी जांच की जा रही है ताकि फर्जीवाड़े में शामिल अन्य लोगों तक भी पहुंचा जा सके।

    ग्रामीणों के अनुसार, सुरेश प्रसाद की गिरफ्तारी की खबर से इलाके में हड़कंप मच गया है। लोग हैरान हैं कि इतने वर्षों तक वह बच्चों को पढ़ाने के नाम पर नौकरी करता रहा और विभाग को भनक तक नहीं लगी। अब पुलिस और शिक्षा विभाग दोनों स्तर पर इस पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है।