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    आरा: इचरी नरसंहार कांड में पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा बरी, नौ आरोपियों को सश्रम उम्रकैद की सजा

    By Jagran NewsEdited By: Yogesh Sahu
    Updated: Wed, 05 Apr 2023 03:54 PM (IST)

    आटापुर गांव में गोसाईं मठ नागा बाबा के मठिया के समीप उनपर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी। इसमें मौके पर इचरी के रामलोचन सिंह विनय सिंह जालिम सिंह हृदयानंद सिंह और अनंत सिंह की मौके पर मौत हो गई थी।

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    आरा: इचरी नरसंहार कांड में पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा बरी, नौ आरोपियों को सश्रम उम्रकैद की सजा

    जागरण संवाददाता, आरा। भोजपुर के चर्चित इचरी नरसंहार कांड में तृतीय अपर एवं जिला सत्र न्यायाधीश सत्येंद्र सिंह ने बुधवार को नौ आरोपितों को सश्रम उम्रकैद की सजा सुनाई और अर्थदंड भी लगाया।

    इस मामले में जज ने पूर्व मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता भगवान सिंह कुशवाहा को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में आरोप मुक्त कर रिहाई का आदेश दिया।

    30 साल पहले हुई इस घटना में पार्टी के एक कार्यक्रम से लौट रहे भाजपा समर्थकों से भरे ट्रैक्टर पर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी और नौ लोग घायल हुए थे।

    मामले में अभियोजन की ओर से पीपी नागेश्वर दुबे एवं एपीपी प्रशांत रंजन ने बहस की। एपीपी सियाराम सिंह ने बताया कि 29 मार्च 1993 को जगदीशपुर अनुमंडल क्षेत्र के आयर थाना अंतर्गत इचरी गांव के कुछ लोग भाजपा की सभा में भाग लेने क बाद ट्रैक्टर पर सवार होकर अपने गांव लौट रहे थे।

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    आटापुर गांव के समीप नागा बाबा के मठिया के समीप पहुंचते ही पहले से घात लगाये इंडियन पीपुल्स फ्रंट के समर्थकों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी।

    गोली लगने से इचरी गांव के रामलोचन सिंह, विनय सिंह, जालिम सिंह, हृदयानंद सिंह और अनंत बिहारी सिंह की मौके पर मौत हो गई।

    जबकि, जनेश्वर सिंह, सतेंद्र सिंह, उमेश सिंह, गुप्तेश्वर सिंह, मटुकधारी सिंह, रवीन्द्र सिंह, भिखन साह और जयप्रकाश सिंह समेत नौ लोग गोली लगने से घायल हो गए थे।

    बाद में जख्मी गुप्तेश्वर सिंह के बयान पर थाना में नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मामले में पूर्व मंत्री और आईपीएफ के तत्कालीन विधायक भगवान सिंह कुशवाहा समेत दो दर्जन अभियुक्तों के खिलाफ आरोप का गठन हुआ था।

    अभियोजन की ओर से 12 गवाही हुई थीं, जबकि बचाव पक्ष की ओर से दो गवाहों ने गवाही दी। जिसके बाद तृतीय एडीजे ने आरोपित राजेन्द्र साह, बुद्धू साह, पुलिस महतो, गौरी महतो, बहादुर राम, सत्यनारायण, दुलारचंद यादव, बालेश्वर राम एवं भरोसा राम को भादवि की धारा 302/149 के तहत सश्रम उम्रकैद 307/149 के तहत दस-दस वर्ष के सश्रम कैद तथा 27 आर्म्स एक्ट के तीन- तीन वर्ष के सश्रम कैद एवं कुल 25-25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।

    वहीं, पूर्व मंत्री को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। इधर, मृतक अनंत बिहारी सिंह के पुत्र रितेश सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने मामले में पूर्व मंत्री की रिहाई और अभियुक्तों को फांसी की सजा नहीं मिलने पर असंतोष जताते हुए कहा कि वे उच्च न्यायालय में और कड़ी सजा के लिए अपील करेंगे।