दम तोड़ रही ट्रैफिक व्यवस्था, जाम बनी नियति
भोजपुर जिले में सड़कों के रख रखाव में घोर कमी के कारण जिले की अधिकांश सड़कें अपनी निर्धारित समय सीमा से पहले ही जर्जर हो जाती है। यही कारण है कि सड़कों क ...और पढ़ें

आरा। भोजपुर जिले में सड़कों के रख रखाव में घोर कमी के कारण जिले की अधिकांश सड़कें अपनी निर्धारित समय सीमा से पहले ही जर्जर हो जाती है। यही कारण है कि सड़कों के पुनर्निर्माण का कार्य यहां सालों भर चलता रहता है। इन जर्जर सड़कों पर आए दिन किसी न किसी हादसे की खबर भी मिलती रहती है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों की इन सड़कों पर कई ऐसे तीखे मोड़ आज भी मौजूद हैं जहां सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाएं होती है। जानकारी के अनुसार, जिले में विगत तीन वर्षों से प्रतिवर्ष 300 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गई है। इन दुर्घटनाओं के कारण सिर्फ सड़कों की खराब हालत ही नहीं है। बल्कि इन इलाकों में ट्रैफिक व्यवस्था का नामोनिशान तक नहीं होने के कारण भी इन हादसों को नियंत्रित करना प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर बन गया है। ट्रैफिक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण कई बार हादसे में घायल हुए लोगों की ससमय सेवा नहीं मिलने के कारण मौत भी हो जाती है।
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दर्जन भर डेंजर जोन ट्रैफिक को दे रहे चुनौती : जिला मुख्यालय आरा को छोड़कर पूरे जिले में लचर ट्रैफिक व्यवस्था पूरे ट्राफिक सिस्टम को मुंह चिढ़ाती नजर आ रही है। इसमें से कई प्रखंड तो ऐसे भी हैं जहां ट्राफिक व्यवस्था के नाम पर कुछ दिखाई तक नहीं देता है। इसके अलावा आरा-अरवल पुल से गुजरने वाले ओवर लोडेड ट्रक यहां अक्सर पलटते रहते हैं। वहीं उदवंतनगर प्रखंड के सुढ़नी मोड़ एवं टेढ़की मोड़ सड़क दुर्घटना के मामले में दुर्दांत साबित हो रहे है। सुढ़नी मोड़ पर पुल की ऊंचाई और पुल के बगल में अवस्थित तीखा मोड़ तथा टेढ़की मोड़ के समीप अवस्थित तीखा मोड़ भी इन दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बनते रहे हैं। इसके अलावा इस प्रखंड में स्थित कोहड़ा मोड़, तेतरिया मोड़, बड़का गांव पुल एवं राष्ट्रीय उच्च पथ पर अवस्थित असनी गांव भी डेंजर जोन के रूप में जाना जाने लगा है। जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष इस क्षेत्र में सर्वाधिक लगभग पांच दर्जन सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है, जिसमें लगभग दो दर्जन लोग अपनी जान गवां चुके है। वहीं कोईलवर में कोईलवर पुल से लेकर थाना मोड़ तक का इलाका डेंजर जोन के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा बबुरा रोड में भी काफी सड़क दुर्घटनाएं होती है। इस इलाके में सड़कों के रख रखाव में कमी, संकरी सड़कें और तेज रफ्तार सड़क दुर्घटनाओं के सबब बन चुके हैं। इस वर्ष यहां दर्जन भर सड़क दुर्घटनाओं के बीच दर्जन भर लोग अपनी जाने गवां चुके है। वहीं संदेश में संदेश सकड्डी रोड पर अवस्थित नसरतपुर अखगांव वाहनों की अत्यधिक आवाजाही के कारण सड़क दुर्घटना का पर्याय बन चुका है। वहीं बिहियां में बिहिया तियर-पथ पर भड़सरा-चकवथ पुल के समीप स्थित तीखा मोड़ मौत का पर्याय बन गया है। वहीं शाहपुर इलाके का आर्चनुमा बेलौटी मोड़ एवं शाहपुर-सरना-भरौली मार्ग वाहनों की तेज रफ्तार के कारण मौत का पर्याय बना है। वहीं पीरों में आरा-सासाराम राज मार्ग पर चरपोखरी एवं पीरो का गटरिया पुल भी तीखे मोड़ और तेज रफ्तार वाहनों के कारण डेंजर जोन बन गया है। वहीं गड़हनी का महावीर टोला मोड़ तीन मुहाने पर अवस्थित होने के कारण तेज रफ्तार वाहनों के आने जाने से मौत का पर्याय बन गया है। इस प्रखंड में रतनाढ़ मोड़, बगवां एवं गड़हनी में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ी है।
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जाम से जूझते रहते हैं लोग : भोजपुर जिले के ग्रामीण इलाके जहां एक तरफ नगण्य ट्रैफिक व्यवस्था का दंश झेलने को विवश है। वहीं जिला मुख्यालय आरा में ट्राफिक की सारी ताकत झोंके जाने के बाद भी शहरवासियों को जाम से निजात नहीं मिल पा रही है। जाम की समस्या अब शहरवासियों की दिनचर्या में शामिल हो चुका है। वहीं शहर के मुख्य मार्गों पर लगने वाले महाजाम के बीच भी दो पहिया और तीन पहिया वाहनों के जरिए मनचलों की तेज रफ्तार का शिकार कोई न कोई राहगीर बनता रहता है। हालांकि समय समय पर इन समस्याओं से निजात दिलाने हेतु पुलिस एवं परिवहन विभाग द्वारा अभियान भी चलाए जाते है। पर अभियान समाप्त होते ही स्थिति पूर्ववत बन जाती है। शहर की सड़कों पर लगने वाले जाम के प्रमुख कारणों में अवैध अतिक्रमण प्रमुख बताया जाता है, जिसमें सड़क किनारे अवस्थित दुकानों के अलावा सड़कों पर गिराई गई गृह निर्माण की सामग्रियों से भी अक्सर जाम लगते रहती है।
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नो इंट्री इलाकों में भी बड़े वाहनों की आवाजाही जारी: शहर के व्यस्ततम मार्गों को जाम से निजात दिलाने हेतु वहां निर्धारित समय सीमा के भीतर नो इंट्री की घोषणा की गई है। बावजूद इसके इन इलाकों में ट्राफिक व्यवस्था नहीं होने के कारण खुलेआम भारी वाहनों की आवाजाही जारी रहती है। विशेषकर स्कूल-कालेज और कोर्ट-कचहरी खुलने और बंद होने के समय इन इलाकों में प्रति दिन लोगों को महाजाम से घंटों जूझना पड़ता है। शहर के मुख्य मार्गों पर एक समय में ही भारी संख्या में स्कूल बसों की आवाजाही भी महाजाम की परेशानियों का सबब बन चुका है। बता दें कि शाहाबाद के प्राचीनतम शहरों में से एक आरा की बेतहाशा बढ़ी आबादी के अनुरूप यहां सड़कों का विस्तार नहीं होना भी बेहतर ट्राफिक के लिए चुनौती बना हुआ है।
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वाहन मालिक एवं चालक संघों का सुझाव हुआ बेमानी: जिले में सुचारू यातायात व्यवस्था बहाल करने के लिए बस आनर एसोसिएशन, ट्रक आनर एसोसिएशन तथा रिक्शा-टेम्पू-टमटम चालक संघ की तरफ से कई बार संबंधित अधिकारियों सुझाव दिए जा चुके हैं। पर, पर्याप्त कार्य बल के अभाव में विभाग इस मामले में पूरी तरह लाचार दिख रहा है। जिले में ट्रैफिक पुलिस की घोर कमी के कारण अधिकांश चौक चौराहों पर बिहार पुलिस तथा होमगार्ड के जवानों को तैनात किया गया है। बावजूद इसके सड़कों के रखरखाव तथा यातायात संबंधी जागरूकता की कमी से यहां की यातायात व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है।

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