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केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की आरा पर पुस्तक प्रकाशन की योजना

भोजपुर । केन्द्र की संस्कृति मंत्रालय ने आरा और मुजफ्फरपुर समेत देश के 10 से अधिक कस्बाई श्

By Edited By: Published: Thu, 18 Feb 2016 06:21 PM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2016 06:21 PM (IST)
केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की आरा पर पुस्तक प्रकाशन की योजना

भोजपुर । केन्द्र की संस्कृति मंत्रालय ने आरा और मुजफ्फरपुर समेत देश के 10 से अधिक कस्बाई शहरों के बारे में एक पुस्तक निकालने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत बिहार के आरा और मुजफ्फरपुर के अलावे उत्तर प्रदेश के बलरामपुर, उत्तराखंड के देहरादुन और मध्य प्रदेश के अंबिकापुर जैसे कस्बाई शहरों पर हिंदी में जाने-माने लेखक एक-एक पुस्तक लिखेंगे। जिसमें वहां के सांस्कृतिक-राजनीतिक- सामाजिक और आर्थिक पहलुओं का भी जिक्र होगा साथ ही उस शहर के इतिहास की भी झलक दिखाई जायेगी।

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हिन्दी के वरिष्ठ कवि एवं पत्रकार विमल कुमार, जो कि बक्सर जिले के गंगाडीह गांव के मूल निवासी हैं, आरा शहर पर किताब लिखने के लिए यहां आए हुए हैं। मुजफ्फरपुर पर हिंदी के चर्चित कवि और इतिहासकार पंकज राग किताब लिखेंगे। इसी तरह अंबिकापुर पर वरिष्ठ कवि नवल शुक्ल और बलरामपुर पर हिंदी के युवा कवि कुमार अनुपम पुस्तक लिख रहे हैं। श्री विमल कुमार ने पत्रकारों को बताया कि वह बचपन से ही आरा शहर आते-जाते रहे हैं और उनका इस शहर से पुराना लगाव और जुड़ाव रहा है। इसलिए वे इस पुस्तक को लिखने में रोमांच महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आरा शहर के साहित्यिक योगदान और सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर स्थान दिलाने के लिए उन्होंने इस योजना में दिलचस्पी ली।

उन्होंने कहा कि आरा शहर में एक तरफ हिंदी के प्रथम गद्य लेखक सदल मिश्र, पहले जीवनीकार शिवनंदन सहाय, व्रजवल्लभ जी, शिवपूजन सहाय, चंद्रभूषण तिवारी, राम निहाल गुंजन, मधुकर सिंह, मिथिलेश्वर और नीरज सिंह जैसे प्रमुख लेखकों ने इस शहर को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया। दूसरी तरफ बाबू जगजीवन राम और राम सुभग सिंह और अम्बिका बाबू जैसे प्रमुख राजनीतिज्ञों का यहां से नाता रहा। जैन समुदाय ने भी इस शहर के सांस्कृतिक चेहरे को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 20वीं सदी के आरंभ में ही मारवाड़ी सुधार के जरिये बिहार में हिंदी पत्रकारिता की नींव पड़ी।

विमल कुमार ने कहा कि आरा विभिन्न समुदायों की साझी संस्कृति का शहर है। इसकी संघर्षशील संस्कृति की चर्चा देश-दुनिया में होती है। स्मार्ट शहर के जमाने में आरा शहर की विरासत और मिजाज के बारे में लिखना अपने आप में उसके महत्व को नये सिरे से स्थापित करने जैसा है। उन्होंने बताया कि लगभग छह महीने में आरा से संबंधित पुस्तक तैयार होगी।

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विमल कुमार का परिचय :

बक्सर जिले के गंगाडीह गांव के मूल निवासी। पटना में जन्मे। वहीं से हाई स्कूल, इंटर और बीए आनर्स इतिहास से किये। रांची कालेज, रांची से राजनीति शास्त्र में एम.ए.। 74 में स्कूल के जमाने में ही जेपी पर कविता लिखी। 30 साल से यूएनआई में कार्यरत हैं।

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प्रकाशित पुस्तकें :

कविता संग्रह : सपने में एक औरत से बातचीत

पानी का टुकड़ा

क्या तुम रोशनी बनकर आओगी

उपन्यास : चांदी / आसमान कॉम

व्यंग्य संग्रह : चोर पुराण

रावण को गुस्सा क्यों आता है?

लेख : सत्ता, समाज और बाजार।


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