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    Chhath Puja 2025: सूर्य की पूजा से क्या होता है लाभ? जानें छठ का वैज्ञानिक महत्व  

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 02:15 PM (IST)

    छठ व्रत (chath Fasting) में सूर्य देव की उपासना होती है, जो वैदिक काल से चली आ रही है। मान्यता है कि इससे रोगों से मुक्ति मिलती है। वैज्ञानिक रूप से, सूर्य ऊर्जा का स्रोत है। सूर्य के प्रकाश में सात रंग होते हैं और यह पेड़-पौधों में प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है, जिससे ऑक्सीजन उत्पन्न होती है। सूर्य की किरणें स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। छठ व्रत में सूर्य की प्रत्यक्ष उपासना की जाती है।

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    छठ पूजा करती महिलाएं। फाइल फोटो

    दिलीप ओझा, शाहपुर(आरा)। लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत में भगवान सूर्य देव उपासना (chhath puja) की जाती हैं। यह व्रत वैदिक काल से ही अनवरत चलते आ रहा है। मान्यताओं के अनुसार सूर्योपासना से असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिल जाती हैं।

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    वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सूर्य मानव जीवन के जीवन चक्र का कारक एवं ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है। भौतिक शास्त्र में गोल्डमेडलिस्ट सह आइआइटी नरेंद्र कुमार तिवारी के अनुसार धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं।

    वहीं वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य के प्रकाश में सात रंग विद्यमान हैं। इसके साथ ही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से पेड़ पौधों से ऑक्सीजन का उत्सर्जन होता है। यह ऑक्सीजन मानव जीवन की प्राण वायु बनता हैं। सूर्य के कारण वातावरण में संतुलन बना रहता है।

    सूर्य की ऊर्जा से निकलने वाली किरणे मानव जीवन को आरोग्य प्रदान करने के साथ-साथ जीवन को चलायमान बनाने में भी अहम भूमिका निभाती है। छठ व्रत के दौरान सूर्य की उपासना की जाती है। आधुनिक संसार में छठ व्रत एकमात्र व्रत है। जिसमें जिसकी उपासना की जाती हो वह देवता साक्षात हमारे नजरों के सामने होते हैं।

    सूर्य मानव जीवन एवं प्रकृति के लिए बेहद ही जरूरी तत्व है, क्योंकि उद्भिज यानी पेड़ पौधों को भी सूर्य की किरणे बेहद जरूरी है.। अवकाश प्राप्त डा. के.पी.महतो की माने तो सुबह के समय सूर्य की पहली रौशनी से प्रचुर मात्रा में विटामिन डी प्राप्त होता है। जिससे मनुष्य के शरीर हड्डियां काफी मजबूत होती है।

    इसके साथ-साथ प्रसव के साथ बच्चों में होने वाली पीलिया की बीमारी भी सूर्य की रोशनी से ठीक हो जाती है। इसी तरह धार्मिक ग्रंथो में भी सूर्य की रोशनी से इलाज करने की कई पद्धतियां मिलती है। जिसे वैदिक काल से लेकर आज तक अनवरत इलाज की जाती है।

    प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. पी.के. द्विवेदी बताते हैं कि सूर्य सृष्टि के संचालक सभी जीव, जंतु व उद्भिज का जीवन चक्र सूर्य के ऊर्जा से ही संचालित होता है। पेड़-पौधों के हरे भरे रहने के लिए भी सूर्य का प्रकाश बेहद जरूरी है। सूर्य के प्रकाश से पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है। जिससे पेड़ पौधों को भोजन प्राप्त होता है। उनमें परस्पर वृद्धि होती है।