Arrah News : आरा में धान की भूसी से बनेगा गत्ता, प्लास्टिक का यह विकल्प हजारों युवाओं को देगा रोजगार
भोजपुर जिले में धान की भूसी से कूट बनाया जाएगा। यह प्लास्टिक का विकल्प होगा। बेकार भूसी का दाम मिलने के साथ सैकड़ों बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। डीएम ने इसके लिए प्रस्ताव भेजा है। प्लास्टिक का विकल्प बनेगा कूट का झोला
धर्मेंद्र कुमार सिंह, आरा। भोजपुर जिले में जल्द ही राइस खस (धान की भूसी) से कुट (कागज का गत्ता) बनाने का सपना साकार होने वाला है। इसे बनाने के लिए जिले में फैक्ट्री लगाने का प्रस्ताव जिला मुख्यालय से राज्य मुख्यालय भेजा जा चुका है। जल्द ही इसकी मंजूरी मिल जाएगी।
जिले में धान की प्रचुर मात्रा में होने वाली उपज और इससे निकलने वाली भूसी को देखते हुए इसके इस्तेमाल करने के कई विकल्पों पर विगत कई माह से मंथन चल रहा था। धान की भूसी से कूट बनाए जाने की जैसे ही फैक्ट्री शुरू होगी, जिले में प्रति वर्ष हजारों बेरोजगार लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं आर्थिक समृद्धि भी आएगी।
इसका सबसे बड़ा लाभ राज्य में प्लास्टिक के थैलों पर लगे प्रतिबंध का होगा। जब प्लास्टिक के बने थैले का इस्तेमाल नहीं होगा तो उसके बदले कूट से विभिन्न प्रकार के बने झोला और डिब्बे का इस्तेमाल विकल्प के रूप में होने लगेगा। इससे जहां पर्यावरण को लाभ मिलेगा वही कम दामों पर यह लोगों को उपलब्ध होने से आर्थिक लाभ भी मिलेगा।
विगत दिनों जिला कौशल विकास समिति की बैठक में डीएम समेत दर्जनों अफसरों की मौजूदगी में कुट बनाने की फैक्ट्री लगाने का प्रस्ताव पेश हुआ था। डीएम ने इस पर सहमति देते हुए राज्य मुख्यालय और उद्योग विभाग को फैक्ट्री लगाने का पत्र भेज दिया है। जल्द ही फैक्ट्री लगाने की इच्छुक कंपनियां भोजपुर आकर सर्वे कर सकती है।
कैसे बनेगा धान की भूसी से कूट
कृषि वैज्ञानिक सह आरा कृषि विज्ञान केंद्र के हेड डॉ पीके द्विवेदी ने बताया कि धान की भूसी अर्द्ध रासायनिक प्रक्रिया से बनाई जाती है। भूसी को मशीन में सबसे पहले प्रसंस्करण किया जाता है, इसके बाद उससे लुगदी तैयार होती है। लुगदी को मशीन में सुखाकर कूट की तरह का बनाया जाता है। कूट बनाए जाने के बाद उसे जिस आकार का चाहेगा कारीगर मशीन से उसी आकार का आराम से बना देगा। आमतौर पर कूट से झोला, मिठाई, चूड़ी, खिलौने और किताब रखने के डिब्बे बनाए जाते हैं। इसके अलावा किताबों की जिल्द हाडकूट से तैयार की जाती है। इसके अलावा भी विभिन्न प्रकार के उपयोगों में इसे लाया जाता है।
जिले में प्रति वर्ष 1.15 लाख हेक्टेयर में होती है धान की खेती
भोजपुर जिले में प्रतिवर्ष एक 1.15 लाख हेक्टेयर से ज्यादा रकबा में धान की खेती होती है। भोजपुर समेत बक्सर, रोहतास और कैमूर में भी धान की अच्छी उपज होती है। रॉ मैटेरियल ज्यादा मिलने से कूट का धंधा जिले में काफी विकास करेगा। इसकी फैक्ट्री खुलने से भूसी से कूट बनाने के साथ-साथ कई अन्य प्रकार के इससे जुड़े रोजगार धंधे भी शुरू हो सकते हैं। इससे जिले में हजारों लोगों को नए नए रोजगार मिलेंगे।
कूट की फैक्ट्री लगाने का भेजा गया प्रस्ताव
भोजपुर जिले में रोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कूट की फैक्ट्री लगाई जाएगी। इसके लिए प्रस्ताव उद्योग विभाग को भेजा गया है। सहमति मिलते ही विभिन्न प्रकार की कई कंपनियां आकर इसका सर्वे करेगी। फैक्ट्री बैठने से जिले के लोगों को काफी लाभ मिलेगा। - राजकुमार, जिलाधिकारी, भोजपुर।