रासायनिक खाद और कीटनाशक के उपयोग से बिगड़ रही है मिट्टी की सेहत; बंजर हो रहे खेत
जिले में रासायनिक खाद के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता गिर रही है जिससे किसान चिंतित हैं। मिट्टी परीक्षण केंद्र के अनुसार कई क्षेत्रों की मिट्टी क्षारीय हो रही है। किसानों को मिट्टी सुधार के लिए सब्सिडी मिलेगी और मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी वितरित किए जाएंगे। वर्ष 2025-26 तक मिट्टी की सेहत सुधारने का लक्ष्य है।
राणा अमरेश सिंह, आरा। जिले में रासायनिक खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल से खेत की सेहत बिगड़ रही है। एक दर्जन प्रखंडों के 70 हजार से अधिक हेक्टेयर की मिट्टी का स्वभाव भी बदल रहा अथवा बदलने की राह में है। जमीन के रंग-रूप और बनावट में अंतर आने लगा है।
प्रभावित मिट्टी का वजन बढ़ने लगा है और उसका हल्के रंग उजले होने लगा है। कीटनाशक व फफुंदनाशक के उपयोग से किसानों के मित्र कहे जाने वाले कीड़े,केंचुए खत्म हो रहे हैं।
तालाबों में बह कर जाने वाले पानी में बढ़ती नाइट्रोजन की मात्रा जलीय जीव और पौधों पर कहर बनकर बरस रही है। इसने किसान और कृषि वैज्ञानिकों की नींद उड़ा दी है।
अगर समय रहते मिट्टी के सेहत का उपचार नहीं किया गया तो जिले की सैकड़ों एकड़ जमीन बंजर हो जाएगी। जिला मिट्टी जांच केंद्र में वर्ष 2025-26 में जो डाटा प्राप्त हुए हैं, वे किसान और फसलों के लिए चौकाने वाले हैं। मिट्टी विभाग इस समस्या से निजात के लिए कवायद शुरू करेगा।
जिला मिट्टी जांच केंद्र के सहायक अनुसंधान पदाधिकारी बीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जिले सभी 228 पंचायतों के एक एकड़ जमीन में प्रक्षेपण यानी डेमोस्ट्रेशन किया जाएगा। इसके लिए किसान का चयन किया जाएगा। जमीन मालिक को एक हेक्टेयर में प्रक्षेपण के लिए चार हजार रुपये की सब्सिडी मिलेगी।
इस राशि से किसान खाद, मृदा सुधारक पैराइट्स, जीप्सम आदि की खरीद करेगा। सब कुछ मिट्टी जांच रिपोर्ट के आधार पर कृषि समन्वयक और कृषि सलाहकार की देखरेख में किया जाएगा। इससे मालूम होगा कि उस खेत की मिट्टी की फसल और नजदीक के खेत की फसल दर में कितना अंतर है। अगर मिट्टी जांच के आधार पर उपयोग किया डेमोस्ट्रेशन सफल रहा तो आसपास के किसान को भी इसी आधार पर खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
15 जून से पहले किसानों को देगा मृदा स्वास्थ्य कार्ड
जिला मिट्टी जांच विभाग को वित्तीय वर्ष 2025-26 में 7865 खेतों की मिट्टी जांच करने का लक्ष्य दिया गया है। अभी तक 1500 खेतों की मिट्टी जांच हो गई है।
सहायक अनुसंधान पदाधिकारी बीरेंद्र कुमार ने बताया कि 15 जून से पहले लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाएगा और सभी किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। किसानों से उसी मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर उर्वरक उपयोग करने का निर्देश दिया जाएगा।
बड़हरा, शाहपुर, उदवंनगर व आरा की भूमि क्षारीय जिले में बड़हरा, शाहपुर, उदवंनगर, आरा प्रखंड के मिट्टी का पीएच बढ़ा हुआ है। इसकी भूमि क्षारीय है। इसका पीएच 7.5 से ज्यादा है। विभाग को मिट्टी जांच में यहां का पीएच आठ से नौ पाया गया है। इससे मिट्टी की बनावट में भी अंतर आ रहा है। ऐसा होने का कारण कंपोस्ट का उपयोग नहीं करना बताया गया।
इसके सुधार के लिए किसानों को जीप्सम, पैराइट्स का इस्तेमाल करना होगा। इसके लिए कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार की मदद से मिट्टी सुधार की सामग्री उपयोग करना होगा।
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