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    बिहार में शराबबंदी का प्रभाव: 44 करोड़ लीटर चुलाई शराब जब्त, 4491 लोग जेल भेजे गए

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 03:56 PM (IST)

    बिहार में शराबबंदी के बाद सरकार ने अवैध शराब के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। 44 करोड़ लीटर से ज्यादा चुलाई शराब जब्त की गई है और 4491 लोगों को गिरफ्तार कि ...और पढ़ें

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    4491 लोग जेल भेजे गए

    जागरण संवाददाता, आरा(भोजपुर)। बिहार में 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद अवैध शराब के खिलाफ उत्पाद विभाग द्वारा लगातार चलाए जा रहे विशेष अभियानों ने बड़े स्तर पर प्रभाव दिखाया है। विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 से 2025 तक की अवधि में अवैध शराब निर्माण और बिक्री से जुड़े कुल 4491 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। यह आंकड़ा सरकार की सख्त कार्रवाई और शराबबंदी के प्रति प्रतिबद्धता को स्पष्ट दर्शाता है।

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    उत्पाद विभाग के रजनीश कुमार के मुताबिक, सबसे बड़ी कार्रवाई देशी चुलाई शराब के मामलों में हुई है। इस अवधि में विभाग की टीमों ने 44 करोड़ 94 लाख 35 हजार लीटर से अधिक चुलाई शराब बरामद की, जिसे बाद में कानूनी प्रावधानों के तहत नष्ट कर दिया गया।

    इतनी बड़ी मात्रा में बरामदगी ने अवैध शराब माफियाओं की जड़ कमजोर कर दी है और राज्य में इनके नेटवर्क पर महत्वपूर्ण चोट पहुंचाई है।

    शराबबंदी लागू होने के बाद तस्करों ने आपूर्ति के नए और गुप्त तरीकों का सहारा लेने की कोशिश की, लेकिन विभाग ने नाकाबंदी बढ़ाने से लेकर गांवों-शहरों में गुप्त छापेमारी तक, हर स्तर पर सख्ती बरती।

    विशेष रूप से सीमावर्ती जिलों में अतिरिक्त सतर्कता के साथ तस्करी पर रोक लगाने में सफलता मिली है। कई गिरोह पकड़े गए जिनका नेटवर्क विभिन्न जिलों तक फैला हुआ था।

    बरामद शराब को तुरंत नष्ट करने के लिए विभाग ने विशेष विनस्तीकरण टीमें गठित कीं, ताकि जब्त माल किसी भी तरह दोबारा बाजार में न पहुंच सके।

    विभाग की रिपोर्ट के अनुसार देसी चुलाई शराब का कारोबार नदी किनारे, घनी बस्तियों और गांवों में अधिक फैला हुआ था, जहां संयुक्त अभियान चलाकर कई अड्डों को ध्वस्त किया गया।

    तकनीक ने भी शराबबंदी को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ड्रोन से निगरानी, मोबाइल ऐप के माध्यम से शिकायत निवारण, तथा संदिग्ध क्षेत्रों में विशेष ऑपरेशन जैसे कदमों ने अभियानों को और प्रभावी बनाया है।

    सरकार का कहना है कि शराबबंदी का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सुधार और परिवारों को शराब के दुष्प्रभाव से बचाना है। इसी कारण अवैध शराब पर कार्रवाई में किसी भी स्तर पर ढिलाई नहीं बरती जा रही है।

    वर्ष 2016 से 2025 तक की कार्रवाई न केवल शराबबंदी कानून के प्रति सरकार की दृढ़ता को दर्शाती है, बल्कि उत्पाद विभाग की सक्रियता और कार्यकुशलता की भी पुष्टि करती है।