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    बिहार के गांवों से निकलेगी सत्ता की राह, 90 हजार में से 76 हजार बूथ देहात में

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 06:43 AM (IST)

    बिहार की राजनीति में गांवों का हमेशा से महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव में ग्रामीण मतदाताओं की भूमिका निर्णायक होगी। राज्य के 90,712 मतदान केंद्रों में से 76,801 गांव में हैं। राजनीतिक दलों का ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों पर केंद्रित है, जहाँ सड़क, रोजगार, कृषि, बिजली और शिक्षा जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। पटना में सबसे अधिक मतदान केंद्र हैं, जबकि शिवहर में सबसे कम।

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    धर्मेंद्र कुमार सिंह, आरा। राज्य की सियासत में गांव हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं। इस बार भी तस्वीर कुछ अलग नहीं है। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में ग्रामीण मतदाताओं का रुख ही सत्ता का समीकरण तय करेगा। 

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    निर्वाचन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि सूबे के कुल 90,712 मतदान केंद्रों में से 76,801 बूथ गांवों में बनाए गए हैं। यानी करीब 85 प्रतिशत पोलिंग स्टेशन ग्रामीण इलाकों में हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में केवल 13,911 मतदान केंद्र ही स्थापित किए गए हैं।

    सूबे का राजनीतिक भविष्य गांवों की चौपालों से

    इसका सीधा अर्थ है कि सूबे का राजनीतिक भविष्य गांवों की चौपालों, खेत-खलिहानों और पंचायत भवनों से तय होगा। गांवों के वोटरों की भागीदारी जितनी अधिक होगी, परिणाम उतने ही दिलचस्प और अप्रत्याशित हो सकते हैं। 

    राज्य की अधिकांश सीटें भी ग्रामीण अंचलों में आने के कारण हर राजनीतिक दल की रणनीति का फोकस अब गांवों की ओर मुड़ गया है। सड़क, रोजगार, कृषि, बिजली और शिक्षा जैसे मुद्दे इन इलाकों में चुनावी चर्चा के केंद्र में हैं। 

    पटना में सर्वाधिक मतदान केंद्र

    इस बार लोकतंत्र का मेला गांवों में ही अपने चरम पर होगा। राज्य में पटना ऐसा जिला है जहां सर्वाधिक 5669 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें 2659 शहरी क्षेत्र में और 3006 ग्रामीण क्षेत्रों में बने हैं। 

    इसके बाद मुजफ्फरपुर में 4186 मतदान केंद्र बने हैं, जिनमें शहरी क्षेत्र में 563 और ग्रामीण मतदान केन्द्रों की संख्या 3623 है। इसी प्रकार पूर्वी चंपारण में 4095, मधुबनी में 3882 और गया में 3866 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। 

    कम मतदान केन्द्रों की संख्या में शिवहर जिला टॉप

    जहां तक कम मतदान केन्द्रों की संख्या है उनमें शिवहर जिला टॉप रैंक पर है। यहां पर महज 368 मतदान केंद्र बने हैं, जिसमें 38 शहरी क्षेत्र में और 390 ग्रामीण क्षेत्र के मतदान केंद्र शामिल है। 

    इसके बाद शेखपुरा में 582, अरवल में 651, लखीसराय में 904 और जहानाबाद में 1009 मतदान केंद्र बने हैं। भोजपुर जिला में 2551 मतदान केंद्र बनने के साथ यहां का बड़हरा ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां एक भी शहरी मतदान केंद्र नहीं है।

    इन 43 विधानसभा क्षेत्र में एक भी शहरी मतदान केंद्र नहीं

    राज्य में गांव का महत्व कितना ज्यादा है यह आयोग के आंकड़ों से भी पता चलता है। कल 243 विधानसभा क्षेत्र में 43 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां एक भी शहरी मतदान केंद्र नहीं है यानी यह विधानसभा पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में बसते हैं। 

    इसमें प्रमुख है बड़हरा, गोह, कुटुम्ब, गुरुवा, गोविंदपुर, राजापाकड़, राघोपुर, अमनौर, गड़खा, तरैया, बैकुंठपुर, कुचाई कोट, चकाई, बेलहर, बिहपुर, चेरिया बरियारपुर बछवाड़ा समेत 43 विधानसभा शामिल है।

    इन शहरों में एक भी ग्रामीण मतदान केंद्र नहीं

    सुबह में पांच ऐसे शहरी मतदान केंद्र हैं जहां पर एक भी ग्रामीण मतदान केंद्र नहीं है। यह ऐसे विधानसभा क्षेत्र है जो पूरी तरह से शहरों में बसते हैं। इनमें प्रमुख रूप से गया टाउन विधानसभा क्षेत्र, पटना साहिब, कुम्हरार, बांकीपुर व भागलपुर ऐसे शहरी विधानसभा क्षेत्र हैं जहां एक भी ग्रामीण मतदान केंद्र नहीं बने हैं। 

    वहीं दरभंगा और मुजफ्फरपुर ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां सबसे कम 87 और 59 ग्रामीण मतदान केंद्र बने हैं।