Bihar Crime: भोजपुर में फर्जी विजिलेंस अधिकारी बन नाजिर से मांगे एक लाख, टारगेट पर थे कई सरकारी अधिकारी
Bihar Crime बिहार के भोजपुर में फर्जी निगरानी अधिकारी बनकर नाजिर से एक लाख ठगने की कोशिश में एक जालसाज को अरेस्ट किया गया है। इसके पास के कई कागजात मिले हैं। बताया जाता है कि इसके निशाने पर कई और सरकारी अधिकारी थे।

जागरण संवाददाता,आरा। बिहार के भोजपुर के नवादा थाना पुलिस ने फर्जी निगरानी पदाधिकारी बनकर एक नाजिर से पैसा मांगे जाने के आरोप में शुक्रवार काे एक जालसाज को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए फ्राड के पास से निगरानी विभाग से जुड़े आठ फर्जी कागजात जब्त किए गए हैं। जिस पर फर्जी मुहर भी लगा है। गिरफ्तार जालसाज रवि शंकर आरा टाउन थाना के अहिरपुरवा मोहल्ला का निवासी है। इसे लेकर नाजिर नागेन्द्र कुमार ने संबंधित थाना में प्राथमिकी कराई है। पुलिस धोखाधड़ी अधिनियम के तहत प्राथमिकी कर पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। आरोपित जालसाज का मोबाइल नंबर भी जब्त किया गया है। जिसे पुलिस खंगालने में लगी हुई है।
आवास पर पहुंचा था निगरानी का फर्जी लेटर लेकर
मूल रूप से पटना जिले के बिहटा थाना क्षेत्र अन्तर्गत आनंदपुर निवासी नागेन्द्र कुमार सिंह आरा सदर प्रखंड में नाजिर के पद पर कार्यरत हैं। आवास मजिस्टेरियल कालोनी में है। आरोप है कि पकड़ा गया कथित जालसाज सुबह नाजिर के आवास पर पहुंचा और बिहार निगरानी विभाग पटना के पत्रांक से जारी फर्जी लेटर दिखाया। जिसमें भ्रष्ट पदाधिकारी , कर्मचारी अथवा जन प्रतिनिधि के कालम में नाजिर नागेन्द्र कुमार का नाम व पद के साथ सरकारी आवासीय पता लिखा हुआ था। आरोप है कि लेटर दिखाने के बाद मामले को रफा-दफा करने के एवज में एक लाख रुपये की मांग की गई। इसके बाद उन्हें संदेह हुआ तो अपने भाई और सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी से बात की। इस बीच सूचना पर पुलिस टीम भी पहुंच गई । फर्जी लेटर पर मुहर की जगह अधीक्षक एके सिंह अंकित था। अधिकारी का नाम वाईएस राणा अंकित था।
टारगेट पर थे निगम से लेकर राजस्व कर्मचारी
इधर, पुलिस ने जब अमूख शख्स से पूछताछ की तो उसने अपना नाम व पता बताया। इसके बाद दारोगा अशोक कुमार सिंह ने आरोपित जालसाज की तलाशी ली। तलाशी के दौरान फ्राड रविशंकर के पास से बिहार निगरानी विभाग पटना का मुहर व पत्रांक लिखा आठ फर्जी लेटर बरामद किया गया। जब्त फर्जी लेटर राजस्व कर्मचारी लक्ष्मण प्रसाद केसरी, खनन निरीक्षक अनुप त्रिपाठी, आइसीडीएस के समंवयक एसएन पांडेय, खनन निरीक्षक श्याम नंदन ठाकुर , सफाई निरीक्षक प्रेम रंजन समेत आठ के नाम से था। जिससे प्रतीत हो रहा था कि उन्हें भी टारगेट बनाने वाला था। एक रिक्त पेपर भी मिला। बरामद मुहर लगे कागजात के संबंध में पूछे जाने पर कोई संतोषजनक जवाब जालसाज ने नहीं दिया। प्राथमिकी में निगरानी विभाग का पदाधिकारी या कर्मी नहीं होने के बावजूद रंगदारी के रूप में पैसे ऐंठन का प्रयास किए जाने का आरोप है।
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