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    आरा जंक्शन पर माल गोदाम का शेड बिक्री में बड़ा घोटाला, नीलामी प्रक्रिया हुई नहीं

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 03:14 PM (IST)

    स्थानीय रेलवे कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुराने शेड को कबाड़ के नाम पर बेचना कोई नई बात नहीं है। वर्षों से यह गोरखधंधा चल रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार मामले का खुलासा सार्वजनिक स्तर पर हो गया। रेलवे में ऐसी गड़बड़ी केवल नियमों का उल्लंघन नहीं बल्कि रेलवे संपत्ति की सीधी चोरी मानी जाएगी।

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    आरा जंक्शन पर माल गोदाम का शेड बिक्री में बड़ा घोटाला, नीलामी प्रक्रिया हुई नही

    जागरण संवाददाता, आरा(भोजपुर)। रेलवे जंक्शन पर रेलवे प्रशासन की लापरवाही और मिलीभगत का बड़ा मामला सामने आया है। वर्ष 2023 में आरा माल गोदाम यहां के पुराने शेड को नीलामी प्रक्रिया से हटकर सीधे बेच दिए जाने का आरोप है। रेल सूत्रों के मुताबिक, यह काम खुलेआम आईओडब्ल् की देखरेख में किया गया, जबकि रेलवे के नियमों के तहत किसी भी पुराने सामान या मलबे को निर्धारित प्रक्रिया के बाद ही नीलामी द्वारा बेचना अनिवार्य है।

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    पुराने शेड को बिना हटाये नया शेड लगाया गया, लेकिन टेंडर न कर निजी हाथों में एक शेड का वजन करीब 50 किलो का था, वह सभी करकट को कूड़े में डाल दिया गया, सूत्रों के अनुसार यह कार्य आईओडब्लू के द्वारा किया गया है। हर शेड का वजन लगभग 50 किलो था और इन्हें कबाड़ के नाम पर सीधा बेच दिया गया। आश्चर्य की बात है कि इस लेन-देन की कोई आधिकारिक नीलामी रजिस्टर में प्रविष्टि तक नहीं की गई। इससे यह साफ हो जाता है कि मामले में भारी आर्थिक अनियमितता और भ्रष्टाचार की गंध है।

    रेलवे का यह शेड 50 वर्षों पुराना था, लेकिन इसकी वास्तविक कीमत कबाड़ बाजार में लाखो रुपये तक हो सकती थी। नीलामी की स्थिति में रेलवे को इस राशि का लाभ होना चाहिए था, मगर अधिकारियों की मिलीभगत से यह रकम सीधे निजी जेबों में चली गई। यही कारण है कि रेलवे की आय में बढ़ोत्तरी की जगह सरकार को नुकसान उठाना पड़ा।

    सूत्र बताते हैं कि 2023 के दौरान आईओडब्लू ने कई बार इस तरह पुराने सामान को नीलामी के बजाय सीधे ठेकेदारों या कबाड़ी कारोबारियों को बेच दिया। सवाल उठता है कि आखिर बिना उच्चाधिकारियों की जानकारी और संरक्षण के यह खेल कैसे संभव हो सकता है? रेलवे प्रशासन की चुप्पी भी इस घोटाले पर पर्दा डालने जैसी प्रतीत हो रही है।

    स्थानीय रेलवे कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुराने शेड को कबाड़ के नाम पर बेचना कोई नई बात नहीं है। वर्षों से यह गोरखधंधा चल रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार मामले का खुलासा सार्वजनिक स्तर पर हो गया। रेलवे में ऐसी गड़बड़ी केवल नियमों का उल्लंघन नहीं बल्कि रेलवे संपत्ति की सीधी चोरी मानी जाएगी। नीलामी की प्रक्रिया से पारदर्शिता बनी रहती है और सरकारी राजस्व को नुकसान नहीं होता। लेकिन जब अधिकारी ही सिस्टम को दरकिनार कर सीधे लेन-देन करने लगें तो निश्चित ही भ्रष्टाचार जड़ पकड़ लेता है।

    यह मामला उजागर होने के बाद यात्रियों और आम नागरिकों में भी आक्रोश है। लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर सरकारी संपत्ति को इस तरह बेचा जाना कहां तक जायज है? क्या रेलवे प्रशासन दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा या फिर यह मामला भी बाकी घोटालों की तरह रफा-दफा कर दिया जाएगा? कुल मिलाकर, आरा जंक्शन पर 2023 का यह शेड बिक्री मामला रेलवे तंत्र में व्याप्त गहरी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को उजागर करता है। यदि समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो भविष्य में रेलवे संपत्ति की लूट और तेज हो सकती है। वही दानापुर रेल मंडल के वरीय एलियन ने कहा कि अभी नए आये है, इसके बारे में जानकारी नही है। इस मामले को जांच कर करवाई की जाएगी। अगर पुराना लोहे का शेड गया कहा होगा, गोदाम में रखा होगा।