दारोगा बहन को भाइयों ने दारोगा बन दिया राखी का गिफ्ट, SI अपराजिता बोलीं- इससे बड़ा तोहफा क्या हो सकता है
रक्षाबंधन पर भोजपुर जिले के जगदीशपुर में एक अनोखी मिसाल देखने को मिली। पिता के निधन के बाद अपराजिता कुमारी दारोगा बनीं और अपने दोनों छोटे भाइयों को भी दारोगा बनने के लिए प्रेरित किया। आज तीनों भाई-बहन बिहार पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अपराजिता कहती हैं कि भाइयों की सफलता उनके लिए राखी का सबसे बड़ा तोहफा है।

कुंवर संजीत सिंह, जगदीशपुर (आरा)। रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार और समर्पण का त्यौहार है, जिसमें बहन भाई की कलाई पर राखी बांध उनके उज्ज्वल और सुखद भविष्य की कामना करती हैं, बदले में भाई अपनी बहन को आजीवन उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने का वचन देते हैं। जिले के जगदीशपुर मे भाई-बहन के रिश्ते की एक ऐसी मिसाल है, जो रक्षाबंधन के पवित्र रिश्ते को परिभाषित करती है।
पिता के निधन के बाद बहन ने न केवल खुद को संभाला, बल्कि अपने दोनों छोटे भाइयों के जीवन में भी आजीविका का रक्षा सूत्र बांधा। आज बहन दारोगा हैं और उनके मार्गदर्शन में उनके दोनों भाई भी दारोगा पद पर चयनित होकर उनका मान बढ़ा रहे हैं।
जगदीशपुर थाना के बगल के निवासी स्व. छोटेलाल चौधरी और माता पुष्पा देवी की पुत्री अपराजिता कुमारी के पिता का निधन 2014 में हुआ। परिवार के इस झटके से उबरते हुए कड़ी मेहनत और लगन के बल पर वर्ष 2019 मे बिहार पुलिस में दारोगा (सब-इंस्पेक्टर) बनकर परिवार का सपना पूरा किया।
अपराजिता का सपना सिर्फ खुद की नौकरी तक सीमित नहीं था, बल्कि वह चाहती थीं कि उनके दोनों छोटे भाई आशीष चौधरी और अंकित चौधरी भी इस पद तक पहुंचें। बड़ी बहन अपराजिता ने भाइयों को बचपन से ही पढ़ाई में अनुशासन, मेहनत और ईमानदारी का महत्व समझाया।
उन्होंने अपनी ट्रेनिंग और ड्यूटी के अनुभव साझा करते हुए दोनों भाइयों को पुलिस सेवा में आने के लिए प्रेरित किया। उन्हीं से प्रेरित होकर दोनों भाइयों आशीष चौधरी और अंकित चौधरी ने भी वर्ष 2021 मे एक साथ दारोगा की परीक्षा में सफलता हासिल की।
वर्तमान समय में जहा अपराजिता बख्तियारपुर थाने में सब-इंस्पेक्टर पद पर तैनात होकर बिहार की सेवा कर रही हैं, तो वहीं उनके भाई अंकित चौधरी कुशेशवर स्थान में थानाध्यक्ष पद पर और आशीष चौधरी दानापुर में सब-इंस्पेक्टर पद पर तैनात होकर प्रदेश को अपनी सेवा दे रहे हैं।
अपराजिता को मिल गया रखी का सबसे बड़ा तोहफा
अपने भाइयों की सफलता पर अपराजिता गर्व करती हैं। वो कहती हैं, "एक बहन के लिए इससे बड़ा राखी का तोहफा और क्या हो सकता है, जब उनके भाई उनकी उम्मीदों पर खरा उतरें, यही असली गिफ्ट है।"
माता पुष्पा देवी ने कहा कि यह केवल एक बहन की जीत नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है कि अगर संकल्प मजबूत हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। जब भी रक्षाबंधन त्यौहार आता है, इस परिवार के लिए गौरव और सपनों के सच होने का पल बन जाता है।
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