राजस्व मोर्चे पर भोजपुर फेल: सीओ की नाकामी से बदनाम हुआ जिला, शाहपुर बना प्रदेश का सबसे कमजोर अंचल
भोजपुर जिले को राजस्व के मोर्चे पर असफलता मिली है। जिले के सीओ की नाकामी के कारण भोजपुर बदनाम हो रहा है। शाहपुर अब प्रदेश का सबसे कमजोर अंचल बन गया है ...और पढ़ें

प्रखंड और अंचल कार्यालय शाहपुर, भोजपुर
जागरण संवाददाता, आरा(भोजपुर)। भोजपुर जिले की राजस्व व्यवस्था एक बार फिर राज्य स्तर पर कटघरे में खड़ी नजर आ रही है। अंचल अधिकारियों (सीओ) की कार्य दक्षता को लेकर जारी नवंबर माह की राज्य स्तरीय रैंकिंग ने जिले की कमजोर हकीकत उजागर कर दी है। हालात इतने खराब हैं कि जिले का एक भी अंचल टॉप-20 में जगह नहीं बना सका, जबकि शाहपुर अंचल फिसड्डी साबित होते हुए पूरे राज्य में अंतिम यानी 534वें स्थान पर पहुंच गया है। यह स्थिति न सिर्फ प्रशासनिक विफलता को दर्शाती है, बल्कि जिले की छवि को भी गहरा आघात पहुंचा रही है।
रैंकिंग के आंकड़े यह साफ बताते हैं कि भोजपुर के अधिकांश अंचलों में राजस्व कार्यों का हाल बेहद चिंताजनक है। बड़हरा (487), आरा सदर (412) और अगिआंव (404) जैसे प्रमुख अंचल 400 से ऊपर की रैंक में फंसे हुए हैं।
ये वही इलाके हैं जहां भूमि विवाद, दाखिल-खारिज, परिमार्जन और ऑनलाइन म्यूटेशन से जुड़ी शिकायतें लगातार सामने आती रही हैं। सीओ की सुस्त कार्यप्रणाली और समयबद्ध निष्पादन की कमी का सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है, जिन्हें छोटे-छोटे राजस्व मामलों के लिए महीनों अंचल कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
जिले के लिए थोड़ी राहत की बात यह है कि संदेश अंचल 40वीं रैंक के साथ जिले में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला अंचल रहा। हालांकि, 40वां स्थान भी जिले की समग्र स्थिति की कमजोरी को ही दर्शाता है।
इसके अलावा पीरो (97), जगदीशपुर (149), सहार (150), उदवंतनगर (161) और चरपोखरी (190) जैसे अंचल औसत से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सके। अक्टूबर की तुलना में कुछ अंचलों—कोईलवर, तरारी और गड़हनी, की रैंकिंग में हल्का सुधार जरूर हुआ है, लेकिन इसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता।
राजस्व व्यवस्था की बदहाली को लेकर हाल ही में राज्य स्तरीय बैठक में भी भोजपुर प्रशासन को फजीहत झेलनी पड़ी थी। उपमुख्यमंत्री सह राजस्व मंत्री विजय कुमार चौधरी ने शाहपुर अंचल के सबसे निचले पायदान पर रहने पर अंचलाधिकारी को कड़ी फटकार लगाई थी और सभी संबंधित पदाधिकारियों को कार्यशैली में सुधार की सख्त चेतावनी दी थी।
राजस्व कार्यों में सिर्फ सीओ ही नहीं, बल्कि एडीएम और डीसीएलआर की रैंकिंग भी चिंताजनक बनी हुई है। एडीएम की रैंकिंग नवंबर में 28वीं रही, जो अक्टूबर में 26वीं थी। डीसीएलआर जगदीशपुर और पीरो की स्थिति में कुछ सुधार दिखा है, लेकिन आरा सदर डीसीएलआर की रैंकिंग सबसे खराब रही, जो 47वें स्थान से फिसलकर 70वें पायदान पर पहुंच गई।
जानकारों का मानना है कि यदि सीओ, डीसीएलआर और एडीएम स्तर पर कड़ी मॉनिटरिंग और जवाबदेही तय नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में भोजपुर की राजस्व व्यवस्था और भी गर्त में जा सकती है।

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