भोजपुर में 102 डायल करने पर भी एंबुलेंस पहुंचने में लग रहे घंटे, समय पर नहीं मिल रही मदद
भोजपुर जिले में 102 नंबर पर एंबुलेंस के लिए डायल करने पर भी समय पर मदद नहीं मिल पा रही है। जिले में 45 एंबुलेंस उपलब्ध हैं, जिनमें से 17 जिला मुख्यालय ...और पढ़ें

भोजपुर में 102 डायल करने पर भी एंबुलेंस पहुंचने में लग रहे घंटे
अरुण प्रसाद,आरा। भोजपुर जिले में आपातकालीन चिकित्सा सेवा के लिए 102 नंबर डायल करने पर समय पर एंबुलेंस पहुंचना अब भी लोगों के लिए भरोसे का विषय नहीं बन सका है। कागजों में जिले के पास एंबुलेंस की पर्याप्त संख्या दिखाई देती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है।
भोजपुर जिले में 102 नंबर डायल सेवा के अंतर्गत कुल 45 सरकारी एंबुलेंस उपलब्ध हैं। इनमें से 17 एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस जिला मुख्यालय में तैनात हैं, जबकि 18 ब्लॉक-लेवल लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस अनुमंडल अस्पतालों, रेफरल अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में संचालित की जा रही हैं।
14 प्रखंडों में दो से तीन एंबुलेंस मौजूद
जिले के सभी 14 प्रखंडों में दो से तीन एंबुलेंस मौजूद हैं। सभी एंबुलेंस में ऑक्सीजन सुविधा के साथ एक चालक और एक इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन की तैनाती की गई है। इधर, केंद्र सरकार ने दुर्घटना की स्थिति में 10 मिनट के भीतर एंबुलेंस पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है।
लेकिन भोजपुर में यह लक्ष्य अब भी दूर नजर आता है। कई बार 102 नंबर पर कॉल करने पर फोन रिसीव नहीं होता, और यदि कॉल रिसीव हो भी जाए तो एंबुलेंस के घटनास्थल तक पहुंचने में घंटों लग जाते हैं।
10 मिनट तक कोई रिस्पांस नहीं
इस हकीकत की पड़ताल के लिए दैनिक जागरण के संवाददाता ने गुरुवार को दोपहर 1:06 बजे 102 नंबर पर कॉल किया। फोन रिसीव होते ही कॉल काट दी गई। इसके बाद 10 मिनट तक कोई रिस्पांस नहीं मिला। पुनः 1:16 बजे कॉल करने पर जवाब मिला कि खराब सड़क और जाम की वजह से निश्चित समय पर एंबुलेंस पहुंचने की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती।
इस संबंध में भोजपुर के सिविल सर्जन डा. शिवेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि इन दिनों सरकारी आयोजनों में एंबुलेंस की भारी मांग रहती है। कई बार एंबुलेंस ऐसे आयोजनों में तैनात कर दी जाती हैं, जहां उनका वास्तविक उपयोग नहीं होता। ऐसी स्थिति में यदि कोई बड़ी दुर्घटना हो जाए तो एंबुलेंस की कमी महसूस हो सकती है।
मरीजों को समय पर मदद क्यों नहीं?
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 102 नंबर डायल करने पर किसी न किसी तरह एंबुलेंस उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है। सवाल यह है कि जब जिले में एंबुलेंस की संख्या पर्याप्त है, तो फिर आपात स्थिति में मरीजों को समय पर मदद क्यों नहीं मिल पा रही?
क्या एंबुलेंस व्यवस्था की प्राथमिकता तय करने की जरूरत नहीं है? यह सवाल अब आम लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों के सामने भी खड़ा हो गया है।
जिले की एंबुलेंस व्यवस्था
- कुल सरकारी एंबुलेंस : 45
- एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट : 17 (जिला मुख्यालय)
- ब्लॉक लेवल लाइफ सपोर्ट : 18 (अनुमंडल/रेफरल/पीएचसी)
- प्रति प्रखंड उपलब्धता : 2–3 एंबुलेंस
- सभी एंबुलेंस में ऑक्सीजन सुविधा, ड्राइवर और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन तैनात
जागरण की पड़ताल
- 1:06 बजे (गुरुवार)
- कॉल रिसीव होते ही फोन काट दिया गया
- 10 मिनट तक कोई रिस्पांस नहीं
- 1:16 बजे दोबारा कॉल- जवाब मिला - “खराब सड़क और जाम के कारण तय समय की कोई गारंटी नहीं”

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