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Bhojpur News: 1865 में बनी थी आरा नगरपालिका, सिर्फ करदाता होते थे मतदाता; पढ़ें पूरा इतिहास

आजादी से पूर्व शाहाबाद जिले के अधीन आरा नगर पालिका सबसे सशक्त नगर निकाय हुआ करता था। बंगाल म्यूनिसिपल एक्ट के तहत 1865 में आरा नगर पालिका का गठन किया गया था। तब जिला मजिस्टेट नगर बोर्ड के पदेन अध्यक्ष होते थे।

By Kanchan KishoreEdited By: Umesh KumarPublished: Fri, 16 Sep 2022 11:07 PM (IST)Updated: Sat, 17 Sep 2022 02:20 AM (IST)
Bhojpur News: 1865 में बनी थी आरा नगरपालिका, सिर्फ करदाता होते थे मतदाता; पढ़ें पूरा इतिहास
1865 में बनी थी आरा नगरपालिका। जागरण

आरा, [कंचन किशोर]। 45 वार्ड वाले आरा नगर निगम चुनाव को लेकर माहौल परवान पर है। इस बार सीधे जनता के द्वारा शहर के मेयर और उप मेयर चुने जाएंगे। आरा नगरपालिका का गौरवशाली इतिहास रहा है और यह सूबे के सबसे पुराने नगर निकायों में से एक है।

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आजादी से पूर्व शाहाबाद जिले के अधीन आरा नगर पालिका सबसे सशक्त नगर निकाय हुआ करता था। बंगाल म्यूनिसिपल एक्ट के तहत 1865 में आरा नगर पालिका का गठन किया गया था। तब जिला मजिस्टेट नगर बोर्ड के पदेन अध्यक्ष होते थे और वे ही सदस्य के तौर पर सात अधिकारियों को मनोनीत करते थे। 1922 तक यही व्यवस्था रही।

1922 में हुआ था पहली बार नगरपालिका का चुनाव

ब्रिटिश राज में बिहार नगर अधिनियम, 1922 के लागू होने के बाद पहली बार नगरपालिका में चुनाव हुआ और 26 नगर पार्षद चुने गए। उन्हीं पार्षदों में से उस समय के नामचीन अधिवक्ता भगवत प्रसाद नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गए। इस लिहाज ने उन्हें आरा नगरपालिका का पहला निर्वाचित मेयर माना जाता है। तब के बड़े जमींदार राधामोहन सिंह उप मेयर बनाए गए थे।

रोचक पहलू यह है कि आजादी से पहले नगरपालिका के चुनाव में केवल वही वोटर होते थे, जो किसी न किसी रूप में सरकार को कर देते थे। शाहाबाद गजेटीयर के मुताबिक 1922 में आरा शहर कुल छह वर्ग मील में फैला था। यहां की कुल आबादी एक लाख 22 हजार थी और उनमें से 5,677 नागरिक करदाता थे। 1963 के बाद व्यवस्था में बदलाव हुआ और आम मतदाता भी अपना वार्ड पार्षद चुनने के लिए वोट करने लगे।

सभी क्षेत्रों से जुड़े करदाता बनते थे प्रत्याशी

आजादी के पहले नगर पार्षदों का चुनाव मोहल्लों में या वार्ड में बांटकर नहीं होता था। पहले हर क्षेत्र से सरकार को राजस्व देने वाले अपने-अपने वर्ग के प्रतिनिधि के तौर पर चुनाव में खड़े होते थे। शहर की शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में जुटे प्रो.बलराज ठाकुर बताते हैं कि जमींदार, ठीकेदार, व्यवसायी, अधिवक्ता, बैंकर आदि वर्गों के प्रतिनिधि उम्मीदवार होते थे।

आरा नगर निगम के दस्तावेजों के अनुसार पहली बार हुए चुनाव में जमींदार शराफत हुसैन, ठीकेदार मो.खालिक, व्यवसायी रघुनंदन प्रसाद, हरद्वार प्रसाद जालान, अधिवक्ता सिद्धेश्वर प्रसाद, जमींदार राधिका प्रसाद सिन्हा और हरिहर प्रसाद सिंह, अधिवक्ता बागेश्वरी दत्त मिश्रा और अवध बिहारी शरण जैसे प्रसिद्ध लोग नगरपालिक बोर्ड के सदस्य चुने गए थे। 30 सदस्यीय बोर्ड में कलक्टर ने सदर अनुमंडलाधिकारी, सिविल सर्जन, जिला स्कूल निरीक्षक और आरा डिवीजन के कार्यपालक अभियंता को मनोनीत किया था।

फूस के घर में खुला था नगरपालिका का कार्यालय

नगर निगम का कार्यालय पहले वर्तमान स्थल पर एक फूस के घर में स्थित था। वहीं, नगरपालिका का कार्यालय खुला था। 1928 में यहां स्थाई कार्यालय का निर्माण हुआ। इस दौरान एक वर्ष के लिए कार्यालय को आरा शहर में डीन टैंक के पूर्व में चोरबड्डी हाउस में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसे 1929 में वर्तमान भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था। तब से इसी भवन से नगर निगम का कार्य संचालित हो रहा है।


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