Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    20 महिला किसानों को बनाया जाएगा प्राकृतिक खेती का नेतृत्व, पांच प्रखंडों में जैव संसाधन केंद्र स्थापित

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 01:21 PM (IST)

    आरा में महिला किसानों को खेती में नवाचार के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। पांच प्रखंडों से 20 महिलाओं को कृषि विज्ञान केंद्र में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें ब्रह्मास्त्र अग्निअस्त्र और नीमास्त्र जैसे प्राकृतिक कीटनाशक बनाने की विधि सिखाई गई। इस पहल का उद्देश्य जैविक खेती को बढ़ावा देना मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करना है।

    Hero Image
    20 महिला किसान बनेंगी प्राकृतिक खेती नवाचार का वाहक

    जागरण संवाददाता, आरा। महिला किसानों को खेती में नवाचार की वाहक बनाने की तैयारी है। इसके लिए जिले के पांच प्रखंडों के 20 महिला किसानों को चुना गया है। चयनित महिलाओं को कृषि विज्ञान केंद्र में प्राकृतिक खेती में तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया, जिसका समापन शुक्रवार को हुआ।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जगदीशपुर प्रखंड के संजू कुमारी के हाथों में रेड़ पत्ता, संदेश के रिंकी देवी अपने साथ धतरे, बिहिया के सोनी कुमारी ने करंज के पत्ते, कोईलर की पूर्णिमा देवी नीम के पत्ते लेकर कृषि विज्ञान केंद्र पहुंची। उन्हें पौधों पर कीड़ों से मुक्ति के लिए ब्रह्मास्त्र सिखाया गया।

    10 किलो गोमूत्र में तीन किलो नीम के पत्ते पीसकर डाला गया। दो किलो करंज के पत्ते को डाला गया। दो किलो सीताफल के पत्ते पीसकर डाला गया। सफेद धतुरे की दो किलो पत्ती को पीसकर डाला गया।

    चार घंटे उबाल के बाद ठंडा होने पर छानकर किसी बड़े बर्तन में रख दिया गया। इस तरह से पेड़ के तनों में रहने वाले कीड़े के लिए अग्निअस्त्र, रस चूसने वाले कीट को नियंत्रण के लिए नीमास्त्र बनाने की विधि बनाई गई।

    इस दरम्यान सभी महिलाओं के चेहरे पर जिज्ञासा और हर सामग्री को कब और कैसे उपयोग करना है को भली भांति सीखी। इसमें जिले के पांच प्रखंड आरा सदर, बिहियां, जगदीशपुर, कोइलवर व संदेश के 20 महिलाएं महिलाएं शामिल रहीं।

    क्या है प्राकृतिक खेती

    यह रसायनों के उपयोग के बिना, देसी गाय के गोबर-गोमूत्र से बने जीवामृत, बीजामृत और नीमास्त्र जैसे प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करके की जाने वाली एक वैज्ञानिक कृषि पद्धति है।

    यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है, फसल उत्पादन में वृद्धि करती है, पानी संरक्षण में मदद करती है और किसानों की लागत कम करती है। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना के तहत जिले के पांच प्रखंडों में 20 जैव उपादान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। प्रत्येक केंद्र की स्थापना के लिए एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

    किसानों को जैविक संसाधनों के प्रयोग के प्रति जागरूक करना मुख्य मकसद है। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी बल्कि प्रशिक्षण तकनीकी जानकारी और जैव उत्पादों की उपलब्धता कराई जाएगी। इससे सुनिश्चित रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता भी कम होगी। -डॉ. नीरज कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी।