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    अधर में भोजपुर को जोड़ने वाली 'जीवन रेखा', 42 दिन में हाईवे पर सिर्फ 7 किमी हुई पिचिंग

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 02:51 PM (IST)

    भोजपुर को उत्तर बिहार से जोड़ने वाले आरा-छपरा हाईवे का पुनर्निर्माण जाम के कारण प्रभावित है। 42 दिनों में केवल 7 किमी पिचिंग हुई है, जबकि 9 किमी बाकी है। भारी ट्रैफिक से निर्माण सामग्री पहुँचाना मुश्किल हो गया है। 82 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना में फुटपाथ निर्माण भी अधूरा है, जिससे दुर्घटनाएँ हो रही हैं।

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    42 दिन में सिर्फ 7 किमी पिचिंग

    संवाद सूत्र,कोईलवर(आरा)। भोजपुर को उत्तर बिहार से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण आरा–छपरा हाईवे का पुनर्निर्माण कार्य लगातार जाम की समस्या से प्रभावित हो रहा है। स्थिति यह है कि दूसरे लेन में बिटुमिन पिचिंग का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। पिछले 42 दिनों में निर्माण एजेंसी सिर्फ सात किलोमीटर लेन की पिचिंग ही कर पाई है, जबकि लगभग नौ किलोमीटर कार्य अब भी बाकी है। 

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    लगातार लगने वाले जाम और भारी ट्रैफिक ने काम की रफ्तार को लगभग ठप कर दिया है। निर्माण का कार्य देख रही एसएनपी इंफ्रा कम्पनी के प्लांट मैनेजर कुंदन सिंह ने बताया कि हाईवे पर जाम सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। चुनाव बीतने के बाद बालू खदान के पुनः चालू हो जाने से भारी वाहनों की आवाजाही काफी बढ़ गई है। ऐसे में निर्माण स्थल तक मटेरियल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। 

    5KM की दूरा तय करने में तीस मिनट का समय

    उन्होंने कहा कि महज पांच किलोमीटर की दूरी तय करने में भी तीस मिनट तक का समय लग जाता है। फिलहाल मनभावन मोड़ से लेकर जमालपुर तक सात किलोमीटर बिटुमिन पिचिंग का कार्य पूरा किया जा चुका है, लेकिन आगे की प्रगति पूरी तरह ट्रैफिक की स्थिति पर निर्भर है।

    आरा–छपरा हाईवे के पुर्ननिर्माण का कार्य सितंबर 2023 में शुरू हुआ था। करीब 82 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को डेढ़ वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। पश्चिमी लेन में 1.40 फीट मोटाई की पीक्यूसी सड़क तैयार हो चुकी है, जबकि पूर्वी लेन पर बिटुमिन बिछाया जा रहा है। 

    फुटपाथ निर्माण शुरू नहीं हो सका

    इसके साथ ही दोनों लेन के किनारे डेढ़ मीटर चौड़ा फुटपाथ भी बनना है, लेकिन अब तक फुटपाथ निर्माण शुरू नहीं हो सका है, जिससे कई जगह हाईवे किनारे गड्ढे बन गए हैं और छोटे वाहन अनियंत्रित होकर पलट जा रहे हैं। 

    निर्माण एजेंसी ने बताया कि यदि ट्रैफिक नियंत्रण को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो कार्य और अधिक विलंबित हो सकता है। लगातार जाम की समस्या के कारण यह परियोजना तय समय सीमा से काफी पीछे चल रही है और दो वर्ष गुजरने के बाद भी हाईवे का पुर्ननिर्माण अधूरा है।