आज भी चारपाई पर मरीज और बच्चे पैदल जा स्कूल, आरा के इन पंचायतों में सड़क की गुहार अनसुनी!
आजादी के कई दशक बाद भी, आरा के कुछ गांवों में सड़क नहीं है। कुतुबपुर डेरा और पाण्डेय टोला जैसे गांवों में सड़क न होने से लोगों को भारी परेशानी हो रही है। बीमारों को चारपाई पर अस्पताल ले जाना पड़ता है, और बच्चों को पैदल स्कूल जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने कई बार नेताओं से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। चुनाव के समय नेता वादे करते हैं, पर बाद में भूल जाते हैं।

आरा के इन पंचायतों में सड़क की गुहार अनसुनी!
राकेश कुमार तिवारी, बड़हरा (आरा)। देश को आजाद हुए करीब आठ दशक बीत चुके हैं। देश डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से बढ़ रहा है। पर कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है। ऐसा ही हाल भोजपुर जिला के बड़हरा प्रखंड अंतर्गत पश्चिमी बबुरा पंचायत के कुतुबपुर डेरा और सिन्हा पंचायत के पाण्डेय टोला गांव का हैं।
जहां आजादी के करीब आठ दशक बाद भी गांव तक पहुंचने के लिए एक सड़क नहीं बन सका है। इस गांव में सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कुतुबपुर डेरा गांव की दूरी आरा छपरा फोरलेन से महज डेढ़ किलोमीटर है। वही पाण्डेय टोला गांव की दुरी आर सिन्हा मुख्य सड़क से मात्र दो किलोमीटर है। इन गांवों में बीमार पड़ने पर लोग पीड़ितों को चारपाई पर लेकर अस्पताल जाते हैं।
नेताओं के द्वारा सड़क बनाने का आश्वासन
ग्रामीण काशी सिंह ने बताया कि हर बार चुनाव के समय नेताओं के द्वारा सड़क बनाने का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन चुनावों के बाद कोई भी नेता गांव की तरफ देखता तक नहीं है।
ग्रामीण सुभाष पांडेय ने बताया कि जिलाधिकारी से लेकर कई नेताओं और मंत्रियों को भी गांव में सड़क निर्माण के लिए आवेदन दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद आज तक प्रशासन ने गांव में सड़क निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
ग्रामीण जितेंद्र सिंह ने बताया कि गांव में सड़क नहीं होने से आने-जाने में लोगों को काफी परेशानी होती है। बीमारी की हालत में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने में काफी समय लग जाता है। पक्की सड़क न होने के कारण बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए गांव में कोई वाहन नहीं आता है। गांव से डेढ़ किलोमीटर दूर रोड तक पैदल जाना पड़ता है।
ग्रामीण मंगल पांडेय ने बताया कि कितने नेताओं सड़क बनाने के लिए गुहार लगाई गई लेकिन आज तक गांव को जोड़ने के लिए कोई सड़क निर्माण नहीं कराया गया।
ग्रामीण सोनू कुमार सिंह ने कहा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों को गांव में सड़क निर्माण के लिए याद आती है। लेकिन चुनाव खत्म होने के साथी ही सड़क निर्माण की सपना हमलोगों का अधूरा रह जाता है।
ग्रामीण रामेश्वर राय कुतुबपुर डेरा गांव में 125 घर है। करीब एक हजार की आबादी रहती है। लेकिन बिना सड़क के इस गांव के लोगों को काफी परेशानी होती है। गांव से बच्चों को स्कूल भेजने में बड़ी कठिनाई होती है।
ग्रामीण गौतम पाण्डेय मरीजों को गांव से इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के दौरान बहुत परेशानी होती है। इमरजेंसी में चारपाई के सहारे मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। कई नेताओं से गुहार के बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है।
ग्रामीण द्वारिका सिंह आज चुनाव हो रहा है तो सभी लोग सड़क निर्माण का वादा करते हैं। चुनाव बीतने के बाद हम लोग को पूछने के लिए भी कोई नहीं आयेगा। हमारे गांव में सड़क निर्माण के लिए सरकार को ध्यान देना चाहिए।

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