स्वामी आगमानंद जी महाराज : एक यायावर संत, जिनका भारत को एक सूत्र में बांधने का है संकल्प
एक यायावर संत परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज एक यायावर संत हैं। शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया (भागलपुर) के पीठाधीश्वर हैं। उनकी काफी महिमा है। हमेशा विच ...और पढ़ें

ऑनलाइन डेस्क, भागलपुर। एक यायावर संत : आज हम आपको भारतीय सनातन परंपरा के दिव्य संत परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के बारे में बताने का प्रयास कर रहे हैं। ये बिहार राज्य के भागलपुर जिला अंतर्गत नवगछिया पुलिस जिला स्थित श्री शिवशक्ति योगपीठ के पीठाधीश्वर हैं। इनकी महिमा लोगोंं के मुख से भिन्न-भिन्न रूपों में सुनी जाती है। ये संतशिरोमणि की उपाधि से सुशोभित हैं। भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लाखों की संख्या में उनके शिष्य, साधक और आनुयायी हैं। सभी की इच्छा होती है, इनसे एक बार भी दर्शन हो जाए। इनका एक बार फोन या मैसेज आ जाने से किसी का भी मन खुश जाता है। इनसे एक बार भी आशीर्वाद प्राप्त कर लोग अपने को धन्य समझते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र नाथ तिवारी बताते हैं कि पिछले दिनों भागलपुर जिले पीरपैंंती शेरमारी बाजार स्थित उनके बुआ के आवास पर लगभग डेढ़ घंटे तक स्वामी आगमानंद जी महाराज का सत्संग हुआ। आध्यात्म के कई विषयों पर चर्चा हुई। मेरे अलावा मेरे स्वजन और बच्चों को उनका आशीष मिला। बिहार और झारखंड के सीमावर्ती जिलों के धर्मपारायण लोगों के लिए इनके सानिध्य में महारुद्र यज्ञ पीरपैंती में हुआ था। हर दिन शाम को स्वामी आगमानंद जी महाराज के मुखारविंद से राम कथा भी लोगों को सुनने को मिला। यहां के लोगों के लिए यह परम सौभाग्य था कि इतने दिनों तक स्वामी जी इस इलाके में रहे। इनका दर्शन और सत्संग सुनकर लोग धन्य हुए।
रविंद्र नाथ तिवारी बताते हैं आगमानंद जी एक यायावर संत हैं। जो जल्दी लोगों की पकड़ में नहीं आते हैं। कहने का मतलब कि उनसे आसानी से भेंट-मुलाकात नहीं हो पाती है। आज के युग में ऐसे नि:स्वार्थ, त्यागी, तपस्वी संत विरले मिलेंगे। इनके चमत्कार के किस्से इनसे जुड़े लोग बताते रहते हैं। अत्यंत सादगी जीवन जीने वाले इस संत के पीछे भक्त दीवाने की तरह घूमते हैं। किसी भी विषय पर आप बात करेंगे तो घंटो बीत जाएगा, लेकिन पता ही नहीं चलेगा। अत्यंत सरल, सहज अंदाज में सारगर्भित ज्ञान वाली बातों को कहने की अद्भुत क्षमता है स्वामी जी में। सचमुच, ये सनातन धर्म के एक महान योद्धा हैं जो दूसरे संतों के लिए प्रेरणा हैं और धर्म के क्षेत्र में गर्व का विषय।

गीतकार राजकुमार कहते हैं उनके साथ चल रहे हैं तो अपना चप्पल और दीमाग खोलकर चलें। अगर अपना दीमाग लगा दिए तो आप फंस जाएंगे। उनकी कृपा आप पर है, बस आप उनके निर्देशों का पालन करते हैं। उनके साथ रहने वाले ऐसे लोग ज्यादा मिलेंगे जो युवा हैं। युवाओं की फौज उनके साथ हमेशा रहती है, वह भी काफी अनुशासित। आज के समय में युवाओं को आध्यत्म से जोड़कर रखना, यह बहुत बड़ी बात है। आप लाख प्रयास करेंगे, स्वामी आगमानंद जी महाराज से आपकी भेंट नहीं होगी, हां उनकी इच्छा होगी तो वे आपको उनका अनायास दर्शन हो जाएगा। आप अगर उनको ढूंढेंगे तो वे दूर होते जाएंगे। बस आपको उनका सिर्फ ध्यान करना है, उनके निर्देश का पालन करना है। स्वामी आगमानंद जी से अगर आपको बात करनी है तो उनके मोबाइल नंबर पर आप मैसेज करें, इनकी कृपा बनेगी तो आपको फोन आ जाएगा। ये एक दिव्य संत हैं। जैसे ही उनका दर्शन और आशीर्वाद लोगों को मिलता है, सभी खुश हो जाते हैं। ये किन्हीं के घर पर अनायास चले जाते हैं। खास बात है कि एक बार उनसे जिनकी भेंट हो गई, वह उन्हें कभी नहीं भूलते। 10 वर्षों बाद भी जब उनके भेंट होती है, वे उन्हें नाम लेकर पुकारते हैं। साथ ही पुरानी स्मृतियों को साझा करते हैं।

दिलीप शास्त्री ने बताया कि स्वामी आगमानंद जी महाराज से मिलने और उनका आशीर्वाद लेने की उनकी बहुत दिनों से इच्छा थी। काफी करीब रहने के बावजूद भी उनका दर्शन नहीं हो पाया था। एक दिन दिलीप शास्त्री ने आकाशवाणी भागलपुर के वरीय उद्घोषक डॉ विजय कुमार मिश्र को फोन कर स्वामी आगमानंद जी से मिलवाने का आग्रह किया। इस पर डॉ विजय कुमार मिश्र ने कहा कि ये तो उनकी इच्छा होगी, तभी संभव है। इसके दो घंटे बाद डॉ विजय ने दिलीप शास्त्री को फोन कर कहा कि वे मेरे घर पर आए हैं, आप आइए। बस क्या था उनका सानिध्य, प्रेम और आशीर्वाद दिलीप शास्त्री को मिल गया। यह बात सितंबर 2021 की है। इसके बाद तो ऐसा रिश्ता कायम हुआ जो अद्भुत हो गया। इसके बाद तो स्वामी जी और दिलीप शास्त्री को कार्यक्रमों, बैठकों और घर में कई बार साथ-साथ दिखे। दिलीप शास्त्री ने बताया कि जब भी उनसे फोन पर बात होती और आप पूछेंगे कि स्वामी कहां हैं आप, तो जवाब आएगा-बस चलायमान हैं। स्वामी आगमानंद जी महाराज हमेशा चलते रहते हैं। वर्ष भर के सभी नवरात्रों में विशेष अनुष्ठान करते हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादक हैं। वे लेखक और एक रससिद्ध कवि हैं। बेहतरीन साहित्यकार हैं। इनका प्रवचन सुनने के लिए लाखों की भीड़ रहती है।

स्वामी आगमानंद जी महाराज ने श्री दुर्गासप्तशती (संस्कृत) को अवधी भाषा में रूपांतरित किया। इस पुस्तक की आज खूब मांग है। आज उनकी इस कृति 'श्रीदुर्गाचरितमानस' से लोग नवरात्र में पाठ करते हैं। शिक्षाविद राजीवकांत मिश्र ने इस पुस्तक के लोकार्पण समारोह कहा था कि श्रीदुर्गाचरितमानस एक धर्मग्रंथ हैं, जो प्रत्येक सभी के गोसाईं (पूजा) घर में रखा जाएगा। इसका ऑडियो और वीडियो बन चुका है। भजन सम्राट डॉ हिमांशु मोहन मिश्र 'दीपक' ने इसमें स्वर दिया है।
मनोरंजन प्रसाद सिंह ने कहा कि स्वामी आगमानंद जी बचपन से ही विशेष प्रतिभा के धनी थे। इनके बाल्यकाल के कई ऐसे किस्से हैं, जो इनके दिव्य होने का प्रमाण है। इनका जन्म रामनवमी के दिन हुआ था। ये इस धरा पर अवतरित होकर लोगों का कल्याण कर रहे हैं। विदेशों से भी इनके अनुयायी दर्शन करने यहां आते हैं। श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया में महाशिवरात्रि पर दो दिवसीय विशेष आयोजन होगा है। इसी दिन इस योगपीठ की स्थापना हुई थी। गुरुपूर्णिमा पर इनके कार्यक्रम में काफी भीड़ रहती है। ये महाशिवरात्रि और गुरु पूर्णिमा के दिन लोगों को दीक्षा देते हैं।
त्रिपाठी जी ने स्वामी आगामानंद जी के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए कहा - 'उनको जब भी याद करती हूं तो आंखे डबडबा जाती है, जब मिलती हूं तो चहरे पर सुकून और खुशी मिलती है।'
गीतकार राजकुमार ने आगे कहा कि स्वामी आगामानंद जी के बारे में जितना जानना चाहेंगे, उनका रहस्य और भी गहराता चला जाएगा। आपको कई अद्भुत रहस्यों की जानकारी मिलती रहेगी। ये साहित्यकारों को बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं। नवगछिया स्थित श्री शिवशक्ति योगपीठ आप जाएंगे तो आपको काफी शांति मिलेगी। ऐसे हैं हमारे संतशिरोमणि परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।