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    World Toilet Day : स्वास्थ्य कर्मियों ने निकाली रैली, कहा- मन का मंदिर देवालय, तन का मंदिर शौचालय

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 20 Nov 2020 07:40 AM (IST)

    World Toilet Day विश्व में आज भी खुले में शौच कर लोग जीवन बिता रहे हैं। यह हाइजीन की दृष्टि से जो कि वाकई खतरनाक है। खुले में शौच करने का मतलब बीमारियों को न्योता देना है। इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

    World Toilet Day : बंधन हेल्थ वर्कर ने निकाली जागरूकता रैली।

    भागलपुर, जेएनएन। World Toilet Day :  मन का मंदिर देवालय तन का मंदिर शौचालय कुछ ऐसे ही गूंजता रहा सदर अस्पताल। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सबौर में बंधन बैंक के तत्वावधान में बंधन हेल्थ वर्कर के द्वारा ’वर्ल्ड टॉयलेट डे’ पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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    बंधन हेल्थ वर्कर प्रोग्राम रीजन राघोपुर ब्रांच फरका की कर्मी आरती कुमारी, कोनिका कर्मोकार और सोनम कुमारी, अस्पताल प्रभारी सुभ्रा वर्मा सहित चिकित्सकों ने कार्यक्रम को संबोधित किया।

    वक्ताओं ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व में आज भी लगभग आधी आबादी बिना टॉयलेट के जीवनयापन कर रही है, हाइजीन की दृष्टि से जो कि वाकई खतरनाक है। खुले में शौच करना मतलब बीमारियों को न्योता देना है। लोगों को टॉयलेट के उपयोग और स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई। पिछले कई सालों के सतत प्रयासों के बावजूद भारत में आज भी कई जगह ऐसी हैं, जहां लोग खुले में ही शौच करते हैं। खुले में शौच करने का सबसे अधिक दुष्प्रभाव महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।

    वर्ल्ड टॉयलेट डे के लिए इस वर्ष थीम ’सस्टेनेबल सैनिटेशन एंड क्लाइमेट चेंज’ रखी गई है। टॉयलेट और क्लाइमेट चेंज का संबंध वाकई जिज्ञासा पैदा करता है। शौचालय से निकलने वाले अपशिष्ट पोषक तत्व और ऊर्जा होती है। सस्टेनेबल सैनिटेशन प्रक्रिया को अपनाकर इस टॉयलेट वेस्ट का उपयोग हरियाली बढ़ाने के लिए किया जा सकता है जिससे कि जलवायु परिवर्तन में सहायक गैसों पर रोकथाम में सहायक हो सकता है।

    बता दें कि 2 अक्टूबर, 2014 को गांधीजी की जयंती के दिन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की गई थी। इसके तहत गांवों में हर घर में शौचालय बनाने और खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया। सार्वजनिक स्थानों पर भी शौचालय हो, ये सुनिश्चित करना इस मिशन का मक़सद था। साथ ही कूड़ा-कचरा प्रबंधन पर भी मिशन में ज्यादा फ़ोकस किया गया।

    बंधन वर्कर खासकर महिलाओं एवं बच्चों को स्वच्छता के प्रति गांव में जागरूक करती हैं एवं उसके फायदे और नुकसान को समझाती हैं। प्रोग्राम में अस्पताल से जुड़ी कर्मी और बंधन की ए एस कर्मी कुल तकरीबन 50 महिलाओं ने भाग लिया।