इनसे मिलिए, ये हैं भारत की पहली स्तोत्र गायिका माधवी मधुकर, YouTube पर 50 करोड़ श्रोताओं तक पहुंचाई आध्यात्मिक ध्वनि
Madhvi Madhukar भारत की पहली स्तोत्र गायिका माधवी मधुकर ने यूट्यूब पर 50 करोड़ श्रोताओं तक आध्यात्मिक ध्वनि पहुंचाई है। भागलपुर के सबौर की बेटी माधवी मधुकर ने संस्कृत स्तोत्र गायन के क्षेत्र में वैश्विक पहचान बनाई है। संस्कृत संगीत को नया जीवन देते हुए माधवी की आवाज मधुरं वृन्द के माध्यम से विश्वपटल पर गूंज रही है। विदेश तक स्तोत्र साधना की प्रतिध्वनि बनकर माधवी आध्यात्म की अग्रदूत बनीं।

ललन तिवारी, भागलपुर। Madhvi Madhukar भारत की पहली विशिष्ट स्तोत्र गायिका माधवी मधुकर ने यूट्यूब पर 50 करोड़ श्रोताओं तक पहुंचकर अध्यात्मिक ध्वनि का एक नया आयाम स्थापित किया है। भागलपुर जिले के सबौर की इस बेटी ने संस्कृत स्तोत्र गायन को वैश्विक आंदोलन में बदल दिया है, जिससे भागलपुर का नाम विश्व पटल पर गूंज रहा है। माधवी मधुकर, उत्तर एवं पूर्व भारत की पहली स्तोत्र गायिका हैं, जिन्होंने पिछले आठ वर्षों में संस्कृत स्तोत्रों को स्वरबद्ध कर जन-जन तक पहुंचाने का महाअभियान छेड़ा है।
माधवी मधुकर का गायन न केवल भारत के प्रतिष्ठित सांस्कृतिक आयोजनों और मंदिरों में गूंजता है, बल्कि विदेशों में भी भारतीय संस्कृति की गरिमा को स्थापित कर चुका है। उनकी यात्रा केवल एक कलाकार की नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और संस्कृत संगीत के पुनर्जागरण की गाथा है।
माधवी ने अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से आध्यात्मिक आंदोलन खड़ा किया है, जिसके तहत 50 करोड़ से अधिक बार उनके स्तोत्र सुने जा चुके हैं। हर महीने 1.4 करोड़ श्रोता उनकी प्रस्तुति से आत्मिक शांति का अनुभव करते हैं। दूरदर्शन न्यूज और दूरदर्शन नेशनल पर उनके स्तोत्र नियमित रूप से प्रसारित होते हैं।
माधवी ने भारत में पहली बार संस्कृत संगीत मंडली (बैंड) की परिकल्पना की है, जिसका नाम "मधुरं वृन्द" है। यह मंडली संस्कृत संगीत को नवजीवन देने वाला अभिनव प्रयोग है, जिसे भारत के चारों शंकराचार्यों का आशीर्वाद प्राप्त है। केंद्र और राज्य सरकारों के सांस्कृतिक आयोजनों से लेकर विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों तक, माधवी की प्रस्तुति ने सभी को भावविभोर किया है।
वर्तमान में वह मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग और एकात्मधाम के सहयोग से विद्यार्थियों, शंकरदूतों और साधकों को स्तोत्र गायन एवं भावार्थ का प्रशिक्षण दे रही हैं। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा में भी उन्होंने अपने गायन से दिव्यता का संचार किया था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।